नवनिर्मित अकादमिक भवन, पुस्तकालय भवन व् डाटा सेंटर और राज्य के पशुपालन पदाधिकारियों के लिए आयोजित प्रथम कार्यशाला के शुभारंभ

Pashu Sandesh, 10 June 2020

प्रदेश आज कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में बिहार की छवि एक प्रगतिशील राज्य के रूप में स्थापित हुई है। हमने प्रदेश में लगातार पांचवी बार कृषि कर्मण पुरस्कार हासिल किये हैं जो एक असाधारण उपलब्धि को दर्शाता है उक्त बाते बिहार के कृषि-सह-पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा, वे बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के में बोल रहे थे। अपने ऑनलाइन सम्बोधन में उन्होंने कहा की गत वर्ष बिहार की आर्थिक वृद्धि दर स्थिर मूल्य पर 10% से ज्यादा दर्ज की गई जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रही और इस दर को हासिल करने में कृषि और खासकर पशुपालनए मत्स्य पालन और मुर्गी पालन का बहुत बड़ा योगदान रहा है। बिहार सरकार कृत संकल्प है कि प्रदेश के किसानो और पशुपालकों को सभी संभव सुविधाएं और लाभ दिए जाये। पशुपालन को बढ़ावा देने हेतु कई तरह के उल्लेखनीय कदम उठाये गए हैं। प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा नस्ल सुधार को प्राथमिकता दी जा रही है। मरंगाए, पूर्णिया में नया फ्रोजेन सीमेन स्टेशन का काम लगभग पूर्ण हो चूका है जहाँ फ्रोजेन सीमेन के 50 लाख डोज़ प्रतिवर्ष पैदा किये जा सकेंगे। उन्होंने आगे कहा की प्रदेश में दूध के प्रशंस्करण को बढ़ावा देने पर भी सरकार का बल है। विश्वविद्यालय के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा की छात्रों और शिक्षकों के लिए शिक्षण से जुड़ी सभी बुनियादी ढांचे प्रयोगशाला और अन्य सुविधाओं को पहले से ज्यादा उन्नत किया जा रहा है।

इस कोरोना त्राश्दी के दौरान लॉक डाउन अवधि में भी विश्वविद्यालय में शिक्षण का कार्य नहीं रुका है, छात्रों के हित के लिए अभी तक 700 से अधिक ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की गई हैं इसके अलावा 750 शिक्षण सामग्री और 400 से अधिक रिकॉर्ड किए गए व्याख्यान छात्रों के लाभ हेतु यूट्यूब पर अपलोड किए गए हैं इन शिक्षण सामग्री का उपयोग देश विदेश के कोई भी छात्र कर सकते हैं। नए परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा की राज्य के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पशुपालकों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए एक बाह्य वित्त पोषित और नौ संस्थागत अनुसंधान परियोजनाओं का परिचालन हो रहा है, बिहार सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत चार अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है जो विश्वविद्यालय के विकास में सहायक सिद्ध होगी। कोरोना पर बोलते हुए उन्होंने कहा की कोरोना संक्रमण के दौर में भरी संख्या में रिवर्स माइग्रेशन हुआ है, काफी संख्या में लोग राज्य में वापस लौटे है। उनके सामने रोजगार की समस्या है जो राज्य के लिए बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन  चुनौतियों को अवसर में बदला है, एक बार पुनः इस चुनौती को अवसर में बदलना है। कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी में रोजगार की असीम संभावनाएं है। विश्वविद्यालय को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है, लोगो को ट्रेनिंग देकर रोजगारन्मुख बनाया जा सकता है। 

इस अवसर पर विभाग के सचिव डॉ. एन. सरवण कुमार ने कहा की शिक्षण संस्थान ई-गवर्नेंस मॉडल और ऑनलाइन कोर्सेज को बढ़ावा दे, उन्होंने अपने अभिभाषण में मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (मूक्स) का भी जिक्र किया और कहा की विश्वविद्यालय मूक्स जैसे शार्ट टर्म, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और अन्य कोर्सेज का संचालन करे जिससे फील्ड डॉक्टर्स और आम जनता जिन्हे पशुपालन के क्षेत्र में रूचि हो वो इस कोर्स से लाभान्वित हो सके। उन्होंने कहा की हमें "लैब टू लैंड" पर काम करने की आवश्यकता है ताकि इंटरनेशनल और नेशनल लेवल में हो रहे अनुसन्धान और खोज को तकनीक के मदद से ग्रास रुट लेवल तक लेकर जाया जा सके। उन्होंने ई-लर्निंग और ऑनलाइन वर्किंग को अपनाने के पर विशेष जोर दिया और कहा की ऐसे कार्यशाला और ट्रेनिंग का आयोजन परमानेंट मॉडल के तौर पर  विभाग द्वारा निरंतर कराया जायेगा जिससे फील्ड में कार्यरत पशुचिकित्सक और पशुपालन पदाधिकारी अपने नॉलेज को अपडेट कर सके। 

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने सरकार का धनयवाद करते हुए कहा की दो भवनों के उद्घाटन से विश्वविद्यालय के कार्यो को गति मिलेगी। उन्होंने दोनों भवनों में स्थापित विभागों की जानकारी दी जिसमे फार्माकोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, तथा टॉक्सिकोलॉजी विभाग की स्थापना की गयी है साथ ही स्नातक और स्नातकोत्तर लैब, लेक्चर हॉल तथा सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन फैसिलिटी, डिजिटल लाइब्रेरी, वित्त और डाटा सेंटर जैसे सुविधाएँ मौजूद है। विश्वविद्यालय के भावी योजनाओं की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया की जल्द ही कृषि विज्ञान केंद्र की तर्ज पर पशु विज्ञान केंद्र की स्थापना प्रस्तावित है साथ ही पारा वेट स्कूल की स्थापना की जानी है जिसमे डिप्लोमा इन लाइवस्टॉक डेवलपमेंट और अन्य कार्यक्रम चलाये जायेंगे। उन्होंने बताया की विश्वविद्यालय में डिजीज डायग्नोस्टिक लैब बी.एस.एल-2 की फैसिलिटी सहित की स्थापना के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा जा चूका है, जिसके स्थापना से स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू जैसे रोगो की जांच क्षमता बढ़ेगी। 

कार्यशाला के पहले दिन दो तकनीकी सत्र हुए जिसमे 135 पशुपालन पदाधिकारी और पशुचिकित्सक ज़ूम एप से जुड़े साथ ही कई पशुपालक फेसबुक और यूट्यूब लाइव से जुड़े। कार्यक्रम में निदेशक पशुपालन डॉ. विनोद सिंह गुंजियाल सहित विश्वविद्यालय के पदाधिकारी गण मौजूद थे।