युवा पशुचिकित्सकों ने लिया शपथ

बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के पशुचिकित्सा विज्ञान व पशुपालन स्नातक 2019 बैच के पास आउट विद्यार्थियों ने लिया शपथ

टॉपर्स के बीच बांटे गए मेडल

गोल्ड, सिल्वर, ब्रॉन्ज़, बेस्ट इन एनिमल प्रोडक्शन और बेस्ट इन क्लीनिकल अवार्ड में छात्राओं का कब्ज़ा

पशु संदेश,11 July 2019

पटना: बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अधीन बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में पशुचिकित्सा विज्ञान व पशुपालन स्नातक (बी.वि.एससी एंड एएच) 2019 में पास आउट हो रहे 34 विद्यार्थियों को शपथ दिलाया गया, ,जिनमे 20 छात्र व् 14 छात्राएं शामिल है। पशुचिकित्सा के क्षेत्र में जाने से पहले यह शपथ वेटनेरी डॉक्टरों को दिलाया जाता है, बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है की किसी बैच को यह शपथ दिलाया गया। इस अवसर पर बैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया, जिनमे बी.वि.एससी एंड एएच में सर्वाधिक अंक पाने वाली बैच टॉपर छात्रा आकृति अन्ना को गोल्ड मेडल से नवाज़ा गया, श्रुति मिश्रा रजत पदक के साथ बैच की द्वितीय टॉपर रही वहीं सुमन कुमारी बैच की थर्ड टॉपर रहीं, साथ ही एनिमल प्रोडक्शन विषय में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाली आकृति अन्ना को बेस्ट एनिमल प्रोडक्शन अवार्ड से नवाजा गया, वहीं दूसरी ओर क्लीनिकल विषय में सर्वाधिक अंक पाने वाली श्रुति मिश्रा को बेस्ट क्लीनिकल अवार्ड से नवाजा गया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसन्धान संस्थान, मथुरा के भूतपूर्व कुलपति डॉ. के० एम० एल० पाठक मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे, अपने अभिभाषण में उन्होंने कहा की पशुचिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं है, यह एक ऐसा पेशा है जिसे दुनियाँ भर में सम्मान दिया जाता है। विद्यार्थियों के संबोधन में उन्होंने कहा की आप सभी को आज गर्व होना चाहिए की आप एक पशुचिकित्सक है, आज से आपके नाम के आगे डॉक्टर शब्द जुड़ गया है जो अपने आप में बहुत महान शब्द है, और आपके मरीज वो होंगे जो आपके सामने अपनी भावनाओं और पीड़ाओं को प्रकट नहीं कर सकते, उनके दर्द को आपको खुद महसूस करना है, जो बहुत बड़ी बात है। बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय का इतिहास बहुत पुराना रहा है, जो देश-विदेशों में भी प्रख्यात है इस नाम को आगे ले जाने में आपकी भूमिका अहम् होगी। उन्होंने आगे कहा की इस विश्वविद्यालय को स्थापित हुए दो साल ही हुए है पर हर मायने में विकास दिख रहा है, जो पुरे राज्य के लिए गर्व की बात है।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने युवा पशुचिकित्सकों को बधाई देते हुए कहा की यह हमारे लिए बहुत ही हर्ष की बात है की विश्वविद्यालय आज समाज को इन युवा पशुचिकित्सकों को सौप रहा है। ऐसे आयोजनों से यह साफ़ होता है की हम नवनिर्माण और नवपरिवर्तन के दिशा में अग्रसर है, यह आयोजन अपने आप में और बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के इतिहास में अनूठा है जो सराहनीय है। उन्होंने कहा की हम बदलाव के दिशा में बाद रहे है जो आपके सामने है, इस महाविद्यालय का नाम और यश को और आगे ले जाने आप युवा सहायक होंगे। उन्होंने पास आउट हो रहे विद्यार्थियों से फीडबैक देने को कहा ताकि महाविद्यालय के पठन-पाठन और अन्य चीजों में सुधार किया जा सके साथ ही जो कमी उन्होंने महसूस की हो उन्हें दूर किया जा सके।उन्होंने आगे कहा की इस क्षेत्र में डटे रहने के लिए साहस की आवश्यकता है, इसके लिए छात्र आगे आये, चुनौतियों का सामना करने से न घबराएं साथ ही अपने अंदर आत्मविश्वास जगायें। विपरीत परिस्थितियों का डट कर सामना करना ही आपकी सबसे बड़ी ताकत बनेगी।

कुलपति ने विश्वविद्यालय के विगत दो वर्षों में किये गए कार्यों से लोगो को अवगत कराया उन्होंने बताया की विश्वविद्यालय के नए भवन के लिए मास्टर प्लान तैयार कर लिए गए है और विभाग को सौप दिया गया है, उन्होंने विश्वविद्यालय को निरंतर सहयोग प्रदान करने के लिए सरकार का आभार प्रकट किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के भावी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा की अगस्त के पहले सप्ताह में वृहद् वृक्षारोपण कार्यक्रम किया जायेगा, विश्वविद्यालय की दूसरी स्थापना दिवस 29 अगस्त को मनाई जाएगी और विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह इस साल के अंत तक किए जाना है।

इस अवसर बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ जे.के प्रसाद ने अपने स्वागत भाषण में छात्रों को दी जा रही एक्सपोज़र और इंटर्नशिप के बारे में रिपोर्ट पेश किया, छात्रों के सम्बोधन में उन्होंने कहा की हमें कर्म प्रधान बनना जरुरी है यह हमारा कर्म ही है जो हमें आगे लेकर जाता है। छात्र खुद को आत्मविश्वास से लबरेज रखे। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन निदेशक छात्र कल्याण डॉ रमन कुमार त्रिवेदी ने किया।

इस अवसर पर पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ दिवाकर कुमार, विवि के कुलसचिव डॉ पी.के कपूर, निदेशक अनुसन्धान डॉ रविंद्र कुमार, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एके ठाकुर, सहित विश्वविद्यालय के तमाम शिक्षक, कर्मचारी और छात्र मौजूद थे।