कच्छ में समृद्धि तथा हरियाली के लिए हर गांव में एक करोड़ रूपया खर्च किया जाएगा:गिरीश जयंतीलाल शाह

Pashu Sandesh, 04 Feb 2022

डॉ. आर. बी. चौधरी

गुजरात के बहुचर्चित कच्छ भूमि के सर्वांगीण विकास के लिए मुंबई में 1 फरवरी 2022 एक बैठक हुई जिसमें मुंबई शहर के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर कच्छ से पधारे 25 गाँव के प्रतिनिधि -महाजन भी उपस्थित थे जिसका उद्देश्य यह था कि कच्छ के विकास में मुंबई के दाता अपना योगदान दें ताकि वहां की वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके। इस कार्यक्रम में समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य- गिरीश जयंतीलाल शाह का विशेष कच्छ विकास पर विशेष व्याख्यान रखा गया था।

इससे व्याख्यान के दौरान आए सभी आगंतुकों और गणमान्य व्यक्तियों ने सामूहिक रूप से कच्छ के गांव के विकास के लिए सामूहिक संकल्प लिए।यह कहा गया कि कोई भी कार्य सहभागिता के बिना अधूरा हो जाता है। सहभागिता पर आधारित इस संकल्प में गौचर विकास, नदी -नालों की सफाई,नए पुराने तालाबों का पुनर्जीवन , देशी वृक्षों का रोपण और गौ संवर्धन संरक्षण का विशेष संकल्प शामिल था। गिरीश जयंतीलाल शाह ने अपने संबोधन में बताया कि कच्छ के परियोजना- "समस्त महाजन रूरल डेवलपमेंट कच्छ प्रोजेक्ट" के लिए 1 गाँव में रु 1 करोड़ का खर्च किया जाएगा जिसमें 50% रक़म मुंबई के दाता देंगे और 50% रक़म ग्रामवासी देंगे । शाह ने यह भी बताया कि समस्त महाजन और ग्लोबल कच्छ के समन्वित प्रयास से इस परियोजना का संचालन किया जाएगा। इस परियोजना का लक्ष्य है कि कच्छ के सभी ग्रामीण सुखी और संपन्न हो जाए एक टिकाऊ( सस्टेनेबल) खेती की व्यवस्था प्राप्त करें। उन्होंने बताया कि कच्छ में गांव की संख्या 924 तथा ग्राम पंचायतो की संख्या 632 है जिनको को कवर किया जाएगा ।

शाह ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि इस कार्य में काफी चुनौतियों है क्योंकि जिन क्षेत्रों का विकास किया जाता है उसमें जल प्रबंधन, उपयोगी वृक्षों का रोपण , चरागाह का विकास और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की तकनीक को 45,676 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले कच्छ जो पूरे गुजरात का 23.27% भूभाग दायरे में समेटे हुए हैं, को विकसित किया जाएगा। ताकि, कच्छ के जनमानस के कल्याण के साथ-साथ वहां के जीव-जंतुओं तथा पशु-पक्षियों का भी भला किया जा सके। उन्होंने बताया कि कच्छ में कुल 366 प्रजातियों की पक्षियों का निवास है जो आज पर्यावरण प्रदूषण तथा जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही है।इनको भी बचाने की हमारी कोशिश रहेगी।

इस कार्यक्रम से पशु-पक्षियों का भी संरक्षण -संवर्धन किया जाएगा जिसमें गौशाला विकास, ऑर्गेनिक खेती से ले कर अत्यंत उपयोगी 16 प्रकार के वृक्षों का रोपण भी शामिल है ताकि, लोगों को रोजगार और आय मिले। उन्होंने बताया कि इन वृक्षों के रोपण के लिए प्रति यूनिट की लागत ₹250 आएगा लेकिन बाद में चलकर यह किसानों की आमदनी बढ़ाने में अहम भूमिका अदा करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक गांव में 1600 वृक्ष लगाते है तो कुल रु.40 लाख की लागत आएगी ।

शाह ने आगे यह भी बताया कि कच्छ के इस प्रोजेक्ट में जंगली बाबुल ( प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा) नामक झाड़ियों को निकाल कर जमीन को साफ -सुथरा कर खेती के योग्य बनाना होगा फिर वहां पर जल प्रबंधन, गोचर विकास और पौध-रोपण का कार्य किया जाएगा। समस्त महाजन तथा सहयोगी संस्था ग्लोबल कच्छ के साथ-साथ गांव वालों की बराबर की साझीदारी रहेगी ताकि आशातीत सफलता प्राप्त हो सके। सभी अपने अपने गाँव को स्वावलम्बन की तरफ़ ले जाए । ऐसे कार्यक्रमों को सिर्फ गुजरात ही नहीं सीमित रखा जाएगा बल्कि उसे भारत के 6.50 लाख गांव में ले जाया जाएगा ताकि देश के हर गाँव को "सोने की चिड़िया" का खोया हुआ सम्मान प्राप्त हो सके ।

इस कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी के लिए उन्होंने अपने अहमदाबाद तथा मुंबई स्थित कार्यालय का संपर्क सूत्र : 9825860865/9820020976): ईमेल - samastmahajan9@gmail.com/admin@samastmahajan.com भी दिया।