गली कूचे के कुत्तों को भोजन देने  के मामले पर न्यायालय का बेहतरीन आदेश

दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश से  देश भर के  पशु प्रेमियों में खुशी : प्रीति दुबे

Pashu Sandesh, 06 July 2021

डॉक्टर आर बी चौधरी

पूरे देश भर में  डॉग फीडिंग  एक बहुत बड़ी विवाद का मामला बना हुआ था ।  हालत यहां तक पहुंची कि  फरीदाबाद शहर में इस समस्या को निपटाने के लिए  भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के प्रतिनिधि को  स्थानीय प्रशासन तथा  आम आदमी के बीच में बैठक करनी पड़ी।  पीपल फॉर एनिमल यूनिट 2 की अध्यक्षा प्रीति दुबे ने  डॉग फीडिंग के मामले को उठाया तो  भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने  बड़ी मशक्कत के बाद  इस झगड़े को  कुछ निश्चित जगहों पर फीडिंग पॉइंट  का उपाय ढूंढ कर सुलझा पाया।  मोहल्ले में होने वाले रोज-रोज के झगड़े के बारे में  प्रीति दुबे का कहना था कि  कुत्ते तो हर शहर हर कॉलोनी में  रहते हैं और  वह है कम्युनिटी डॉग है ।  उन्होंने बताया कि गली कूचे के कुत्ते सब को जानते -पहचानते और परिवार जैसा रहते हैं।  उनकी देखरेख में  अड़चन  डालने वाले  हमेशा  कुत्तों को खाना खिलाने के लिए  व्यवधान डाल कर अवैधानिक काम करते हैं  जो पीसी एक्ट 1960 मैं दर्शित उपायों  का उल्लंघन है। प्रीति ने बताया कि इस बीच  दिल्ली  उच्च न्यायालय  के फैसले से  देशभर के पशु प्रेमी  बहुत खुश है  और  उच्च न्यायालय ने  डॉग फीडर्स  के पक्ष को न्यायोचित बता कर  पशु प्रेमियों का  सिर्फ मनोबल ही नहीं बढ़ाया बल्कि उनके काम को अत्यंत आसान बना दिया।

यह बता दें कि   अभी हाल में दिल्ली उच्च न्यायालय  के अपने  एक फैसले में यह कहा कि "बेसहारा कुत्तों को भोजन का अधिकार, वे बेजुबान हैं हम नहीं"।  न्यायालय ने अपने आदेश में आगे कहा कि "बेसहारा कुत्तों के प्रति दया रखने वाला कोई भी व्यक्ति उन्हें अपने निजी प्रवेश द्वार या उनके घर के ड्राइववे या अन्य निवासियों के साथ साझा नहीं की गई किसी अन्य जगह पर खिला सकता है, लेकिन कोई भी दूसरे को कुत्तों को खिलाने से तब तक प्रतिबंधित नहीं कर सकता, जब तक कि यह नुकसान या उत्पीड़न का कारण न हो उन्हें।" अदालत ने कहा कि  इस विषय में जागरूकता फैलाने की  अत्यधिक जरूरत है ताकि जानवरों को  मनुष्य जैसा जीवन जीने का समान अधिकार एवं सम्मान मिले ।  प्रीति का मानना है कि कोर्ट  के बेहतरीन आदेश में  कई महत्वपूर्ण बातें की गई है जिसमें भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड को को मीडिया के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने के लिए कहां गया है।  प्रीति ने  बताया कि  आदेश में  विद्वान  न्यायाधीशों ने  कहा है कि ‘हमें सभी जीवों के प्रति दया दिखानी चाहिए। जानवर भले बेजुबान हों लेकिन एक समाज के तौर पर हमें उनकी तरफ से बोलना होगा। जानवरों को कोई दर्द या पीड़ा नहीं होनी चाहिए। जानवरों के प्रति क्रूरता के कारण उन्हें मानसिक पीड़ा होती है। जानवर भी हमारी तरह सांस लेते हैं और उनमें भावनाएं होती हैं। जानवरों को भोजन, पानी, आश्रय, सामान्य व्यवहार, चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है"।

इतने ही नहीं  कुत्ते अपने  रहने वाले क्षेत्र की  सफाई और  जनस्वास्थ्य  बेहतर रखने की भूमिका भी निभाते हैं  क्योंकि  कुत्तों की वजह से  चूहों की आबादी पर नियंत्रण करता है जिससे  चूहों से मनुष्य में फैलने वाली खतरनाक बीमारी -"लेप्टोस्पायरोसिस" पर नियंत्रण मिलता है।  प्रीति ने बताया कि  दिल्ली उच्च न्यायालय के इस आदेश  के पालना से  कुत्तों का अपराध घटेगा  और कुत्तों पर चलाए जाने वाले कल्याणकारी कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किए जा सकते हैं।  उसने  उच्च न्यायालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि  न्यायालय ने अपने आदेश में  कुत्तों से मिलने वाले प्रेम  गली मोहल्ले की रखवाली  इत्यादि सेवाओं की  आदेश में  विधिवत वर्णन किया है।  न्यायालय ने 86 पन्ने के अपने फैसले में  बड़े ही अस्पष्ट ढंग से कहा है कि ‘कम्युनिटी डॉग (बेसहारा कुत्ते) को भोजन का अधिकार है और नागरिकों को उन्हें खिलाने का भी अधिकार है लेकिन इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे समाज के किसी दूसरे सदस्य को परेशानी या असुविधा नहीं हो।’ 

प्रीति ने बताया कि  न्यायालय के  विद्वान  न्यायाधीशों ने  अन्य कई महत्वपूर्ण बातों की चर्चा की है  जिसमें रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) या नगर निगम और पुलिस जैसे नियम नियमावली  लागू करने वाली  विभाग एवं संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वह नियमानुसार अपने कर्तव्य का पालन करते हुए  कुत्तों की सुरक्षा और व्यवस्था  नियम पर  ध्यान दें और सुनिश्चित करें कि सामुदायिक कुत्तों की देखभाल करने वालों या फीडरों के लिए कोई बाधा नहीं  आ रही है और प्रत्येक डॉग फीडर को कुत्ते के पास भोजन और पानी पहुंचाने में कोई रुकावट तो नहीं कर रहा है।