उत्तर प्रदेश के एक महिला पशु प्रेमी द्वारा गोवंश बचाने की प्रेरक मुहिम

चाइनीज तार की धारदार ब्लेड लगी बाड़ से मवेशियों की तड़प-तड़प कर हो रही मौत: शालिनी अरोरा

Pashu Sandesh, 25 June 2022 बरेली (उत्तर प्रदेश)

डॉक्टर आर बी चौधरी

लोकप्रिय अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के द्वारा वर्ष 2017 में "एचटी वूमेन एनिमल केयर अवार्ड"जैसे कई दर्जनों राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जीव जंतु कल्याण एवं संरक्षण अवार्ड से सम्मानित श्रीमती शालिनी अरोरा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि चाइनीस कटीली तार में लगी दो-धारी ब्लड वाली बाड़ बरेली जनपद के आसपास धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है जिससे मवेशियों तथा अन्य पशुओं की ऐसी दर्दनाक मौत हो रही है जो एक बार बाड़ के अंदर भूख से व्याकुल होकर चरने के लिए कोशिश करते हैं तो वह उसमें फंस जाते हैं। फंसे हुए मवेशीमैं तो बाहर निकल पाते मैं अंदर जा पाते दो धारी ब्लडी बाड़ उनके लिए जानलेवा सिद्ध हो रही है और वह तड़प तड़प कर के मर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन को कई बार बताया जा चुका है लेकिन इस पर कोई कुछ कार्रवाई नहीं की गई है जबकि इस तरह की जानलेवा बाड़ प्रतिबंधित है।

श्रीमती शालिनी अरोरा एक एनिमल वेलफेयर एक्टिविस्ट तथा केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की मानद जीव जंतु कल्याण अधिकारी भी रही है। इसलिए वह पशु पक्षियों के ऊपर होने वाले किसी प्रकार की अत्याचार के लिए अपनी आवाज समय-समय पर उठाती रही हैं। उन्होंने इस संबंध में बताया कि चाइनीस जानलेवा तार वाली बाड़ बाजार में धड़ल्ले से बिक रही है जिस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बरेली के आसपास के किसान अपने फसल की सुरक्षा के लिए इस बार का प्रयोग बेफिक्र कर रहे हैं जिसका नतीजा है कि मवेशी खास करके लावारिस तथा पशुपालकों द्वारा निष्कासित पशु इसका शिकार हो रहे हैं। श्रीमती शालिनी के अनुसार बरेली के पास आसपुर खूबचंद गांव के पास उनका लावारिस पशुओं का एक संरक्षण केंद्र है जहां वह घायल निराश्रित एवं अपाहिज पशुओं की निस्वार्थ भाव से सेवा कर रही हैं। क्षेत्र के सभी गांव में इस जानलेवा तार की बाढ़ लगा कर छुट्टा पशुओं से फसल की सुरक्षा की जा रही हैजो अवैधानिक एवं अनैतिक है। इस बाड़ से पशु तड़प तड़प कर मरता है क्योंकि तीसरे ब्लेड से जो घाव बनता है वह ठीक नहीं होता है। वहां गैंग्रीन एवं सेप्टीसीमिया विकसित हो जाने से उनके शरीर में तेजी से बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है और वह मर जाते हैं। पिछले साल भर से वहहर महीने 30- 40 पशुओं की रेस्क्यू कर चिकित्सा करवाती है जिसमें सफलता का अस्तर नहीं के बराबर होता है। उन्होंने जिन आंकड़ों के बारे में चर्चा की वह अत्यंत दुखद है । उन्होंने बताया कि तकरीबन एक दर्जन आस-पास के गांव में 500 से 600 छुट्टा पशु लावारिस हो हमसे मिल जाएंगे जो कहीं ना कहीं चने के चक्कर में शिकार बन जाते हैं।

शालिनी जी ने उत्तर प्रदेश एवं केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि जीव जंतु पूर्णता निवारण अधिनियम 1960,इंडियन पेनल कोड आईपीसी/सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया), 1973 की धारा 144 के तहत जानलेवा बाड़ लगाने की बिक्री, खरीद और स्थापना पर प्रतिबंध लगाने की गुजारिश की है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी 2017 में संज्ञान लिया था औरइस तरह के प्रतिबंधों को पंजाब सरकार ने भी प्रतिबंधित किया है। पशु अधिकारों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पीसीसीए एक्ट 1960,काजी हाउस अधिनियम तथा कैटल ट्रेस्पास्ड एक्ट 1871(1977) के अंतर्गत पशु मालिकों की जिम्मेदारी फिक्स की गई है लेकिन राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा इन नियमों का लागू न किए जाने की वजह से समूचे देश में छुट्टा पशु घूमते रहते हैं। ऐसी हालत में सरकार को पशु मालिकों को बूढ़े, लूले- लंगड़े, बीमार, घायल तथा बछड़ा या बेल आज को खुला छोड़ने की आजादी नहीं देनी चाहिए। दूसरी बात है कि इस तरह के जानलेवा बाड़ लगाने वाले किसानों को और इस तरह की बाड़ बेचने वाले दुकानदारों को अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने अपने मांग को दोहराते हुए कहा कि ऐसे जानलेवा एवं अवैधानिक बाड़ की बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लगाना अत्यंत आवश्यक है।

श्रीमती शालिनी और पुराने अपने मीडिया संवाद में यह भी कहा कि राज्य सरकारों को भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा बनाए गए नियमों तथा अधिनियमों के बारे में जिला तथा राज्य प्रशासन को अवगत कराने तथा जागरूक बनाने की अत्यंत आवश्यकता है। शालिनी तथा उनके परिवार को बाड़ से घायल पशुओं की रक्षा करने के लिए कई बार जानलेवाहमले का शिकार होना पड़ा है। उन्होंने मीडिया के माध्यम से केंद्र एवं राज्य सरकार से यह भी कहा कि मवेशियों या गोवंश की सुरक्षा के लिए वह हमेशा संघर्ष करती रहेंगी।

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