Pashu Sandesh, 16 जनवरी 2021
अमरनाथ जायसवाल एवं डॉ. आर.बी.चौधरी
केंद्र सरकार के अधीन नव स्थापित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के प्रथम अध्यक्ष, पूर्व सांसद एवं केंद्रीय मंत्री डॉ. वल्लभभाई कथीरिया का गोरखपुर महोत्सव के सिलसिले में गोरखपुर आगमन हुआ जहां उन्होंने गौ संरक्षण - संवर्धन तथा गौशालाओं के स्वाबलंबन पर आयोजित सेमिनार में शिरकत की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आमंत्रित देश भर से आए शीर्षस्थ विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक में कई ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई। इस चर्चा में विशेष आमंत्रित आगंतुक के रूप में डॉ. कथीरिया ने केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के क्रिया-कलापों का परिचय दिया और उत्तर प्रदेश में गौ संरक्षण संवर्धन की संभावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए कई सुझाव दिए।
एक विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री का निराश्रित गायों के लिए किया जा रहा प्रयास अत्यंत ही सराहनीय है। इन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए सोसाइटी, धार्मिक संगठन, स्वयं सहायता समूह, युवक मंगल, स्वयं सेवकों, महिला मंडल आदि से जोड़ने की आवश्यकता है। इन संगठनों को गायों को दत्तक देने की प्रक्रिया शुरु करनी चाहिए। गोमुत्र और गोबर से आमदनी शुरू की जा सकती है। गोवंश पालन का प्रबंधन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक गाय पर सरकार 30-50 की मदद कर रही है और बाकी के खर्च गोबर और गोमूत्र से निर्मित उत्पादों के विक्रय से एकत्र किया जा सकता है।
गाय का पालना ही नहीं उसकी पूरी उपयोगिता को समझना आज के परिपेक्ष में अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए हमें अपने संस्कृति, परंपराओं और सभ्यता पर नजर डालना पड़ेगा। वैसे गाय एक सिर्फ प्राणी नहीं है, गाय एक संस्कृति हैं गांव के विकास की दूरी है। गाय के बिना हमारे कई संस्कार और दिनचर्या अधूरी रह जाती है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि आज के मशीनीकरण युग में लोग गाय को भूलते जा रहे हैं जिसका नतीजा है कि पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में पड़ गई है। फूड चेन प्रदूषित और विषाक्त हो रहा है जल्दी ही इससे निपटने का रास्ता बनाना होगा। उन्होंने आगे बताया कि इसके लिए गांव आधारित कृषि की अत्यंत आवश्यकता है। आयोग इस पर समग्र मांडल का प्रारूप लेकर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए जन आंदोलन बना रहा है। इस दिशा में गो आधारित दिनचर्या को बढ़ावा देने के लिए गाय के सभी सेवाएं और उसके सभी उत्पादों का निर्माण, प्रशिक्षण, बायोगैस स्थापना, चारा उत्पादन, पिकनिक स्पॉट, पर्यटन, प्रदर्शनी, पुस्तकालय, आदि की व्यवस्था शुरू कराए जाने का अभियान आरंभ कर दिया है ।
गोरखपुर महोत्सव के दौरान राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन डॉक्टर वल्लभभाई कथीरिया ने दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी का भ्रमण किया । जहां उन्हें विश्वविद्यालय के कुलपति ने भव्य स्वागत किया और विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष/ फैकल्टीज से परिचय कराया। इस अवसर पर डॉक्टर कथीरिया आयोग के द्वारा संचालित गो विज्ञान पर आधारित शैक्षणिक एवं अनुसंधान गतिविधियों का परिचय दिया और विश्वविद्यालय से अनुरोध किया कि वह भी अपने विश्वविद्यालय में कामधेनु चेयर की स्थापना करें। साथ ही साथ गो विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा का आयोजन भी आरंभ कराएं । गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेश सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गो विज्ञान के प्रचार प्रसार के साथ-साथ आयोग द्वारा एंटरप्रेन्योरशिप और भविष्य में स्टार्टअप इंडस्ट्रियलिस्ट को सुविधा देने से युवाओं में बेरोजगारी की समस्या से निपटने में काफी मदद मिलेगी । कुलपति ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में भी कामधेनु चेयर की स्थापना की जाएगी । इस अवसर पर कुलपति ने डॉक्टर कथीरिया को साल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
डॉ.कथीरिया ने मीडिया को बताया कि कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में इसकी शुरुआत शीघ्र कि जाएगी। उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में कामधेनु चेयर एवं कामधेनु स्टडी सेंटर बनाया जाएगा। ऐसे कार्यक्रमों में युवाओं को गाय के बारे में शिक्षित किया जायेगा और उन्हें जागरुक किया जाएगा। इन विषयों पर शोध कार्य भी कराये जायेंगे। इसका मुख्य उद्देश लोगों को इन्टरप्रेन्योर तैयार करना है। देश में कामधेनु गऊ विज्ञान प्रसार का परीक्षा का आनलाइन आयोजन किया जाएगा। ऐसे कार्यक्रमों के तहत स्कूली बच्चों एवं युवाओं को लेकर आम जन को जोड़ा जाएगा। गो विज्ञान के अध्ययन एवं परीक्षा आयोजित कर लोगों को जागृत किया जा रहा है । इस दिशा में कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा पर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्न के माध्यम से लोगो को गाय के बारे में जागरूक करने का कार्य जारी है।का गठन शीघ्र ही किया जाएगा।