गर्मी की ऋतु मे पशुओ का प्रबंधन

पशु संदेश, 23 मार्च 2021

डॉ सुमन अहिरवार

जैसे की हम जानते है की गर्मी का मौसम पशुओं के लिएअत्यंत कष्ट दायक होता है इस समय तापमान के बढ़ने से पशु का उत्पादन अचानक कम होने लगता है ओर पशु तनाव मे रहने लगता है।पशु पालको को इस ऋतु में पशुपालन करते समय पशुओं की विशेष देखभाल की जरुरत होती है क्यूँकि बेहद गर्म मौसम में जब वातावरण का तापमान 42.50°बतकपहुँचजाताहैऔरगर्मलूकीलपटे  चलने लगते हैं तो पशु दबाव की स्थिति में आ जाते हैं । तापमान मे बड़ोतरी पशु के पाचन तंत्र को सीधे प्रभावित करती है जिसके कारण दूध उत्पादन क्षमता पर उल्टा प्रभाव पड़ता है। ऐसा पाया गया है की गर्मी मे अधिक तापमान होने की स्थिति मे पशु के सूखा चारा खाने की मात्रा में 10,30 प्रतिशत और दूध उत्पादन क्षमता में 10 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है ।  इसी प्रकार नवजात बछड़ो के देखभाल मे भी बहुत सावधानी रखनी चाहिए क्यूँकि  उनकी भविष्य की शारीरिक वृद्धि,स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोधी क्षमता और उत्पादन क्षमता पर बदलते मोसम का सीधा प्रभाव पड़ता है । साथ ही साथ अधिक गर्मी के कारण पैदा हुए आक्सीकरण तनाव की वजह से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पढ़ता है जिससे की आगे आने वाले बरसात के मौसम में वे विभिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं ।

गर्मी में पशुपालन करते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान

आरामदायक आवास व्यवस्था- सभी जीवित प्राणियों मे आवास का एक महत्वपूर्ण स्थान है ग्रीष्म ऋतु में डेयरी पशुओं में तापमान बढ़ने के कारण तनाव का होना स्वभाविक है ओर इसका निवारण पशु को बेहतर आवास देकर किया जा सकता है । पशु आवास को आरामदायक बनाने के लिए निम्न उपाय अपनाने जा सकते हैं। 

  • पशु आवास की ऊंचाई अधिक करने से पशुओं को गर्मी से राहत मिलती है। पशु आवास के अंदर आने वाली धूप  की मात्रा नियंत्रित करने के लिए दीवार के ऊपर वाले छत  के भाग को लगभग 1 मीटर तक बाहर निकाला जा सकता है।
  • आवास की लंबवत अक्ष पूर्व पश्चिम दिशा में रखने से आवास के अंदर कम धूप  कर पाती है। 
  • आवास के चारों और छायादार वृक्ष लगाने से पशु आवास को आरामदायक रखने में मदद मिलती है। 
  • इसके साथ ही पशु आवास के आसपास का भूभाग हरा भरा रखने से परावर्तित होकर आवास में प्रवेश करने वाले ऊष्मीय विकिरणों को कम किया जा सकता है। 
  • सीधे तेज धूप और लू से पशुओं को बचाने के लिए पशुओं को रखे जाने वाले पशु आवास के सामने की ओर खस या जूट के बोरे का पर्दा लटका देना चाहिये । इन पर्दो पर दिन के समय पानी छिड़कने से आवाज के अंदर की गर्मी को कम करने में मदद मिलती है।
  • पंखे, कूलर, फव्वारे, फोगर, को पशु आवास के अंदर लगाकर पशुओं को गर्मी से निजात दिलाने में मदद मिलती है। फव्वारों के साथ.साथ पंखे चलाने पर पशुओं का अधिक आराम मिलता है। 
  • शीतल जल उपलब्ध होने पर पशुओं को प्रतिदिन दो से तीन बार नहलाया जा सकता है। पशुओं को तालाब में भी नहलाया जा सकता है। लेकिन यदि दिन के समय तालाब के पानी का तापमान बढ़ जाता है तो फिर यह उपाय ठीक नहीं है। 
  • लू लगने पर पशु को ठण्डे स्थान पर बांधे तथा माथे पर बर्फ या ठण्डे पानी की पट्टियां बांधे जिससे पशु को तुरन्त आराम मिले ।
  • पशुपालकों को पशु आवास हेतु पक्के निर्मित मकानों की छत पर सूखी घास या कडबी रखें ताकि छत को गर्म होने से रोका जा सके । पशु आवास के अभाव में पशुओं को छायाकार पेड़ों के नीचे बांधे ।

गर्मी ऋतु मे आहार प्रबंधन। 

  • गर्मी के दिनों में काफी तनाव बढ़ने से पशुओं के आहार ग्रहण करने की क्षमता 10-30 प्रतिशत घट जाती है। परिणाम स्वरूप पशु का दूध उत्पादन कम हो जाता है। इस प्रकार आहार ग्रहण क्षमता को बेहतर करने वाले उपायों को अपनाकर पशुओं के दुग्ध उत्पादन में होने वाली कमी को रोका जा सकता है। इसके लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं। 
  • पर्याप्त मात्रा में साफ सुथरा ताजा पीने का पानी हमेशा उपलब्ध होना चहिये।
  • पीने के पानी को छाया में रखना चाहिये । पशुओं से दूध निकालने के बाद उन्हें यदि संभव हो सके तो ठंडा पानी पिलाना चाहिये ।गर्मी में 3-4  बार पशुओं को अवश्य ताजा ठंडा पानी पिलाना चहिये । 
  • पशुओं को नियमित रूप से खुरैरा करना चाहिये ।
  • खाने पीने की नांद को नियमित अंतराल से धोना चाहिये ।
  • पशुओं के संतुलित आहार में दाना एवं चारे का अनुपात 40 और 60 का रखना चहिये ।
  • गर्मी के दिनों में हमें हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए वर्ष भर चारा उत्पादन की योजना बनाकर चारा उगाना चाहिए। अदलहनी चारों के स्थान पर दलहनी फसलों को स्थान देना चाहिए और इसके लिए मार्च के महीने में बरसीम को सुखाकर संग्रहित किया जा सकता है जिसे श्हैश् बनाना कहा जाता है।
  • पशु आहार में क्षेत्र विशेष खनिज लवण मिश्रण तथा नमक को अवश्य शामिल करना चाहिए पशुओ में तनाव कम करने वाली विटामिन या अन्य खाद्य योजको को भी देना चाहिए । 

उपरोक्त सभी बातो को ध्यान मे रखकर पशुपालक अपने पशुओ को गर्मी की ऋतु से बिना प्रभावित हुये पशु को स्वस्थ रखने के साथ ही एक अच्छा उत्पादन ले सकते है l 

डॉ सुमन अहिरवार 

पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, महू (एम. पी.)