समस्त महाजन का तीन दिवसीय जीव दया प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ

गौशाला स्वावलंबन के लिए गांव के परंपरागत संसाधनों का पुनर्जीवन जरूरी: देवेंद्र जैन

Pashu Sandesh, 25 Feb 2022

डॉ. आर. बी. चौधरी

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता जीव दया को समर्पित लोकप्रिय संस्था "समस्त महाजन" द्वारा संचालित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं सम्मेलन आज राजस्थान मे सिरोही जिले के परलई में संचालित " सूरी प्रेम जीव रक्षा केंद्र संस्थान" से आरंभ हुआ। जिसमें तकरीबन 150 गौशाला प्रतिनिधि शामिल हुए। संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश जयंतीलाल शाह के नेतृत्व में संचालित इस कार्यक्रम के संचालक देवेंद्र जैन ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आगामी 3 दिनों तक चलेगा जिसमें गौशाला स्वावलंबन के लिए गोचर विकास ,जैविक खेती का वैज्ञानिक तरीका,जल संरक्षण तथा देसी वृक्षों का रोपणएवं गौशाला के आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय की चर्चा की जाएगी। उद्घाटन अवसर पर उन्होंने बताया कि इसका समापन गुजरात में स्थित चारा उत्पादन के लिए प्रख्यात "धर्मज" गांव में किया जाएगा ।वैसे इसकी शुरुआत सूरिप्रेम जीव रक्षा केंद्र परलई से आरंभ होकर भाभर स्थित जलाराम गौशाला एवं बंसी गिर गौशाला,धनोरा स्थित गोकुल ग्राम तथा धर्मराज के चरागाह प्रबंधन की तकनीक को देखने का प्रबंध किया गया है।

समस्त महाजन की ट्रस्टी देवेंद्र जैन ने बताया कि किसी भी गौशाला को संचालित करने के लिए पारंपरिक संसाधनों का पुनर्जीवन बहुत जरूरी है। अगर इन बातों पर ध्यान दिया जाए तो बड़े ही आसानी से संस्था को स्वावलंबी बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण का लक्ष्य यही है कि गौशाला एवं पंजरापोल संस्थाएं अपने संसाधनों का विकास करें और उन्हें जागृत कर संस्था को अपने खर्च को निकालने के लिए बताए गए उपाय प्रयोग करें। प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम सत्र में सूरी प्रेम जीव रक्षा केंद्र संस्थान के प्रभारी मनीष भाई ने सभी प्रति आग्रह किया कि वह गौशालाओं के संचालन के लिए सुनियोजित ढंग से फंड व्यवस्था करे। उनकी संस्था वर्तमान में एक से डेढ़ करोड़ रुपए प्रति वर्ष विभिन्न प्रकार की सहयोग राशि प्राप्त करती है। वर्तमान में गौशाला में सभी आधुनिक व्यवस्थाएं की गई है जिसमें चारा काटने की मशीन से लेकर पशुओं को गुमान(ठान) में चारा परोसने की भी व्यवस्था की गई है।उन्होंने बताया कि गौशाला गोदाम से चारा पहले मशीन के द्वारा चारा ट्रैक्टर ट्रॉली में भरा जाता है फिर मशीन से ही आवंटित होता है।उन्होंने मरे हुए पशुओं को सम्मान पूर्वक समाधि के लिए वैज्ञानिक तरीका भी बताया और कहा कि पर्याप्त नमक डालने से पशु ठीक से गल जाता है और उसका बढ़िया खाद बनता है। इस प्रकार उन्होंने अपने कई अनुभव को साझा किया।

शुभारंभ के अवसर पर राजस्थान राज्य के ऑर्डिनेटर रविंद्र जैन ने बताया कि मनीष भाई ने गौशाला फंड व्यवस्था को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उनकी गौशाला में सहायता के लिए कई योजनाएं चलाई गई है जिसमें गोदनामा कार्यक्रम के तहत सालाना प्रति गाय ₹15,000 सहयोग राशि प्राप्त किया जाती है। अब तक तकरीबन 400 गाय गोदनामा कार्यक्रम के तहत देखभाल की जा रही है।इसी प्रकार जन्मदिन एवं अन्य विशेष शुभ अवसर पर शुभ संदेश भेजनेके लिए "एसमएस" से 35 -40 लाख रुपए सालाना , इन गायों से गोबर की खाद बेच कर 10 लाख रुपये सालाना एवं सिलापट् पर नामांकन करके कुल सहयोग - सहायता तकरीबन डेढ़ करोड़ रूपया एकत्र किया जाता है।मनीष भाई ने यह भी बताया कि उनकी गौशाला रोजमर्रा की खर्च विभिन्न प्रकार के सहायता से संचालित की जाती है। जब कभी वह विशिष्ट कार्यों की सहायता लोगों से मांगते हैं तो परियोजना राशि से अतिरिक्त धनराशि की माग करते हैं और शेष राशि को बचाते जाते हैं जिसका नतीजा आज यह है कि उनके गौशाला के पास 5 करोड़ रुपए की फिक्स डिपाजिट है,जिसके ब्याज से मरम्मत का कार्य आसानी से हो जाता है।सरकार से भी गोशाला संचालन के लिए सहायता मिलती है।

आज के सत्र समापन के अवसर पर राजस्थान के दूसरे प्रतिनिधि हरिनारायण सोनी ने बताया कि प्रशिक्षणार्थियों का भ्रमण पावापुरी स्थित केपी संघवी गौशाला में कराया गया। जहां 5000 से अधिक छुट्टा पशुओं की व्यवस्था केपी संघवी परिवार के द्वारा किया जाता है। केपी संघवी के प्रबंधक महावीर जैन ने बताया कि उत्तम व्यवस्था होने के नाते यहां पल रहे पशुओं की मृत्यु दर करीब-करीब नहीं के बराबर है। इस अवसर पर समस्त महाजन के ट्रस्टी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के संचालक देवेंद्र भाई ने बताया कि गौ पशुओं द्वारा अपने मुख से गोचर में घूम कर चरा हुआ चारा, बरसात का पानी और वृक्ष की छाया प्राप्त करने की व्यवस्था कर दी जाए तो गौ संरक्षण की समस्या को सुलझाया जा सकता है। हरनारायण सोनी ने बताया कि गाजर घास से मवेशियों को तमाम प्रकार के चर्म रोग की समस्याएं उत्पन्न होती है अतः हमें जँहा भी गाजर घास दिखाई दे उसे जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए। उन्होंने सभी से निवेदन किया कि सहजन या ड्रमस्टिक के पतियों को खिलाने से पशुओं का स्वास्थ्य अच्छा रहता है अतः गोशालाओं में तथा गोचर में ज्यादा से ज्यादा सहजना के वृक्ष लगाने चाहिए।

समस्त महाजन के राजस्थान कोऑर्डिनेटर रविंद्र जैन ने बताया कि इस शीतकालीन प्रशिक्षण सत्र में शामिल प्रशिक्षणार्थी राजस्थान के विभिन्न ज़िलों से आए हैं। आज के कार्यक्रम के तहत गौशाला प्रबंधन, अनुदान व्यवस्था, घास उत्पादन एवं गोचर विकास तथा पशु स्वास्थ्य के विभिन्न मुद्दों पर व्यवहारिक बातें बताई गई। साथ ही साथ वर्तमान परिपेक्ष में देसी नस्ल के गो पशुओं का पालन - पोषण एवं संरक्षण- संवर्धन के महत्व को बताया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अधीन कार्यक्रमों का विधिवत संयोजन एवं मधुर संचालन रविंद्र जैन ने किया और सभी प्रशिक्षणार्थीयों ने ध्यान मग्न होकर सुना। इस कार्यक्रम में समस्त महाजन के ट्रस्टी भोगी भाई त्रेवाडिया,उत्तमभाई लोड़ाया, रामचंद्र नेहरा, रंजीत सिंह साथ रहे।