पशु संदेश, भोपाल | 18 मार्च 2017
डाॅं नितिन मोहन गुप्ता, डाॅं जे.बी.वी राजू , डाॅं पी. बघेल
यह निर्विवाद सत्य है कि उन्नत नस्ल के दुधारू पशु पालकर कृषक अधिक दुग्ध उत्पादन कर सकते हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थित में भी सुधार हो सकता है। क्योंकि पशु पालन, प्रत्येक कृषक को अपनी अपनी कृषि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, करना ही पड़ता है। अतः उचित ही होगा कि जो भी पशु पाले जायें अच्छी किस्म के पाले जायें तथा वैज्ञानिक विधि अपनाकर उनसे अधिक से अधिक लाभ उठाया जाये। जहां तक दुधारू पशुओं का प्रश्न है कम संख्या मेें अधिक दूध देने वाले पशु पालना, अधिक संख्या में कम दूध देने वाले पशु पालने की अपेक्षा अधिक उत्तम है।
अब प्रश्न यह उठता है कि अधिक दूध देने वाले पशुओं का चयन कैसे किया जाये ? गायों मे मुख्य दो बातों की जानकारी करके उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता का काफी हद तक सही पता लगाया जा सकता है।
चुनाव का आधार
दुधारू गाय का चुनाव करना अन्य पशुओं की अपेक्षा सरल है। क्योंकि दुग्ध की उत्पादन क्षमता कुछ उसकी बाहरी शारीरिक बनावट से पता लग जाती है जिसे हम वैज्ञानिक भाषा में दृश्य रूप गुण या बाह्य दृश्य रूप गुण (Phenotype character) कहते हैं पर केवल दृश्य रूप गुण को ही देखकर किसी गाय की दुग्ध उत्पादन क्षमता का पता लगाना कठिन है और इसके लिए यह आवश्यक होगा कि हम इस गाय की समपैत्रिक बनावट (Genotype character) की सहायता लें क्योंकि गाय की उत्पादन क्षमता उसे अपने पूर्वजों से प्राप्त होती है। दुधारू गाय का सही मूल्यांकन दो बातों पर निर्भर करता है।
1. दृश्य रूप गुण - अच्छी दुधारू गाय की पहचान में दृश्य रूप गुण काफी हद तक मदद् दे सकता है, बनावट की इस स्तर की मुख्य बातें नीचे दी गई है।
(अ) गाय की विशेषता में पहली महत्वपूर्ण बात उसका आकार है, जो इस बात का संकेत है कि संबंधित पशु में जीवन निर्वाह की आवश्यकताओं के अतिरिक्त कितना अधिक चारा उपयोग कर उसको चर्बी और मांस की अपेक्षा दूध में परिवर्तन करने की शक्ति है। शरीर के आकार में लम्बाई, गहराई और चैड़ाई का ध्यान दिया जाता है। पशु के शरीर में डिल (विदर) से लेकर सीने के निचले भाग तक काफी गहराई होनी चाहिये सीने का भाग चैड़ा होना चाहिये तथा पिछला भाग अगले भाग की अपेक्षा अधिक भारी होना चाहिये (त्रिकोणीय आकार)। पसलियों का रीढ की हड्डियों से जहां तक हो सके समकोण पर निकली हुई होनी चाहिये और एक दूसरे के बीच में काफी स्थान होना चाहिये। इस प्रकार की शारीरिक बनावट में शरीर के प्रमुख अंग अर्थात् हृदय और फेफड़ों को अच्छी तरह काम करने के लिए काफी स्थान मिलता है तथा इस बात का भी संकेत मिलता है कि वह पशु कितना अधिक चारा खाकर पचा सकता है।
(ब) सुन्दर गठा हुआ चेहरा, बडी चमकदार आंखे, लम्बी व पतली गर्दन, बाहर की ओर फैली हुई पसलियां नरम रोयें और मुलायम खाल अच्छी दुधारू गाय के लक्षण है।
(स) आकार तथा दुग्ध उत्पादन विशेषताओं के साथ साथ दुधारू गाय की तीसरी विशेषता उसकी ऐन (Udder) की बनावट व धारिता (capacity) है। ऐन बडा होना चाहिये और पिछली टांगोे के मध्य में काफी ऊंचाई पर जुडा होना चाहिये तथा आगे की ओर काफी दूर तक फैला होना चाहिये। दूध निकालने के बाद यह मुलायम और लचीला हो। अधिक दूध देने वाले एन में सामान्यतः रक्त संचार अधिक होता है। इस संकेत के लिए दुग्ध शिरायें बडी और मोटी होनी चाहिये।
(द) सामान्यतः दुधारू गाय देखने में स्त्रियोचित व दृढ शारीरिक बनावट की होनी चाहिये एवं जिस नस्ल की गाय हो वह शुद्ध नस्ल की होनी चाहिये।
2. समपैत्रिक गुणः दृश्य रूप गुण दुधारू गाय की दुग्ध उत्पादन क्षमता का अनुमान लगाने में काफी हद तक सहायक हो सकता है। लेकिन किसी भी गाय की सही उत्पादन क्षमता मालूम करने के लिए उसके कुल से सम्बन्धित सम्बन्धिओं की उत्पादन क्षमता पंजियों (production performance record) का सहारा लेना आवश्यक हो जाता है। वैज्ञानिकों ने यह खोज कर ली है कि गाय को दुग्ध उत्पादन क्षमता उसके पूर्वजों से मिलती है। यह भी स्थापित हो गया है कि इस क्षमता का 50 प्रतिशत मां की ओर से और 50 प्रतिशत बाप का अंश रहता है। जैसे यदि कोई गाय एक ब्यात में 500 किलो दूध देने वाली है और इसको गर्भित करने वाले सांड का प्रवरण देखना (Sire index) 600 किलो है तो इनसे उत्पन्न सन्तान (बछिया) से हम 550 किलो दूध प्राप्त करने की आशा करते हैं। इस तरह किसी भी गाय की औसत दुग्ध उत्पादन क्षमता का अनुमान निम्न तरीके से लगाया जा सकता है।
गाय की औसत दुग्ध उत्पादन क्षमता = सांड की दूध क्षमता + माताओं का औसत दूध
(प्रवरण देना) ------------------------
2
600 + 500
-------- = 550 किलो
2
अतः उपरोक्त दोनों गुणों से दुधारू गाय के छांटने में काफी मदद मिलेगी और पशुपालक आसानी से दुधारू पशुओं की चयन कर सकता है।
डाॅं नितिन मोहन गुप्ता1, डाॅं जे.बी.वी राजू 2, डाॅं पी. बघेल3
1,2 पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ 3 उपसंचालक
भेड प्रजनन प्रक्षेत्र, पडोरा जिला शिवपुरी