गाय एवं भैंसों के लिए सन्तुलित आहार का महत्व

पशु संदेश, 08 फ़रवरी

 डा. हिमांशु प्रताप सिंह ,डा. दिव्या तिवारी ,डा. ऍम. के. मेहता

वैज्ञानिक दृष्टि से दुधारू पशुओं के शरीर के भार के अनुसार उसकी आवश्यकताओं जैसे जीवन निर्वाह, विकास, वृद्धि तथा उत्पादन आदि के लिए भोजन के विभिन्न पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, उर्जा, वसा, खनिज,विटामिन तथा पानी की आवश्यकता होती है| पशु को 24 घण्टों में खिलाया जाने वाला आहार (दाना व चारा) जिसमें उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतू भोज्य तत्व मौजूद हों, पशु आहार कहते है|

    जिस आहार में पशु के सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित अपुपात तथा मात्रा में उपलब्ध हों, उसे संतुलित आहार कहते हैं| संतुलित आहार की विशेषताएं-

1.आहार संतुलित होना चाहिए। इसके लिए दाना मिश्रण में प्रोटीन तथा ऊर्जा के स्रोतों एवम् खनिज लवणों का समुचित समावेश होना चाहिए।

2.यह सस्ता होना चाहिए।

3.आहार स्वादिष्ट व पौष्टिक होना चाहिए। इसमें दुर्गंध नहीं आनी चाहिए।

4.दाना मिश्रण में अधिक से अधिक प्रकार के दाने और खलों को मिलाना चाहिये। इससे दाना मिश्रण की गुणवत्ता तथा स्वाद दोनों में बढ़ोतरी होती है।

5.आहार सुपाच्य होना चाहिए। कब्ज करने वाले या दस्त करने वाले चारे/को नहीं खिलाना चाहिए।

6.भैंस को भरपेट चारा खिलाना चाहिए। भैसों का पेट काफी बड़ा होता है और पेट पूरा भरने पर ही उन्हें संतुष्टि मिलती है। पेट खाली रहने पर वह मिट्टी, चिथड़े व अन्य अखाद्य एवं गन्दी चीजें खाना शुरू कर देती है जिससे पेट भर कर वह संतुष्टि का अनुभव कर सकें।

7.उम्र व दूध उत्पादन के हिसाब से प्रत्येक भैंस को अलग-अलग खिलाना चाहिए ताकि जरूरत के अनुसार उन्हें अपनी पूरी खुराक मिल सके।

8.आहार में हरे चारे की मात्राा अधिक होनी चाहिए।

9.आहार को अचानक नहीं बदलना चाहिए। यदि कोर्इ बदलाव करना पड़े तो पहले वाले आहार के साथ मिलाकर धीरे-धीरे आहार में बदलाव करें।

10.भैंसों और गायों के खिलाने का समय निश्चित रखें। इसमें बार-बार बदलाव न करें। आहार खिलाने का समय ऐसा रखें जिससे भैंस अधिक समय तक भूखी न रहे।

11.दाना मिश्रण ठीक प्रकार से पिसा होना चाहिए। यदि साबुत दाने या उसके कण गोबर में दिखार्इ दें तो यह इस बात को इंगित करता है कि दाना मिश्रण ठीक प्रकार से पिसा नहीं है तथा यह बगैर पाचन क्रिया पूर्ण हुए बाहर निकल रहा है। परन्तु यह भी ध्यान रहे कि दाना मिश्रण बहुत बारीक भी न पिसा हो। खिलाने से पहले दाना मिश्रण को भिगोने से वह सुपाच्य तथा स्वादिष्ट हो जाता है।

12.दाना मिश्रण को चारे के साथ अच्छी तरह मिलाकर खिलाने से कम गुणवत्ता व कम स्वाद वाले चारे की भी खपत बढ़ जाती है। इसके कारण चारे की बरबादी में भी कमी आती है। क्योंकि पशु चुन-चुन कर खाने की आदत के कारण बहुत सारा चारा बरबाद करते है।

 

 संतुलित आहार बनाने का तरीका-

   परिस्थितियों के अनुसार पशु के लिए संतुलित आहार बनाएं| जिन किसानों के पास जमीन एवं सिचाई के साधन उपलब्ध हैं, वे अपने पशुओं क लिए वर्षभर हरा चारा उगायें|अच्छे गुण वाला हरा चारा पशुओं को खिलाने से दुग्ध उत्पादन का खर्च भी कम हो जाता है तथा सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर मात्र में प्राप्त हो जाते हैं|

     पशुओं में आहार की मात्रा उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन की अवस्था पर निर्भर करती है| पशु को कुल आहार का 2/3 भाग मोटे चारे से तथा 1/3 भग दाने के मिश्रण द्वारा मिलाना चाहिए| मोटे चारे में दलहनी तथा गैर दलहनी चारे का मिश्रण दिया जा सकता है| दलहनी चारे की मात्रा आहार में बढने से काफी हद तक दाने की मात्रा को कम किया जा सकता है|

     वैसे तो पशु के आहार की मात्रा का निर्धारण उसके शरीर की आवश्यकता व कार्य के अनुरूप तथा उपलब्ध भोज्य पदार्थों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के आधार पर गणना करके किया जाता है लेकिन पशुपालकों को गणना कार्य की कठिनाई से बचाने के लिए थम्ब रुल को अपनाना अधिक सुविधा जंक है| इसके अनुसार हम मोटे तौर पर व्यस्क दुधारू पशु के आहार को तीन वर्गों में बांट सकते है-

1.जीवन निर्वाह के लिए आहार

2.उत्पादन के लिए आहार

3.गर्भवस्था के लिए आहार

1.जीवन निर्वाह के लिए आहार:-
यह आहार की वह मात्रा है जिसे पशु को अपने शरीर को स्वत रखने के लिए दिया जाता है| इसे पशु अपने शरीर के तापमान को उचिर सीमा में बनाए रखने, शरीर की आवश्यक क्रियायें जैसे पाचन क्रिया ,रक्त परिवाहन,श्वसन, उत्सर्जन, चयापचय आदि के लिए काम में लाता है| इससे उसके शरीर का बजन भी एक सीमा में स्थिर बना रहता है|चाहे पशु उत्पादन में हो या न हो इस आहार को उसे देना ही पड़ता है इसके आभाव में पशु कमज़ोर होने लगता है जिसका असर उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन क्षमता पर पड़ता है|इस में देसी गाय (ज़ेबू) के लिए तूड़ी अथवा सूखे घास की मात्रा 4 किलो तथा संकर गाय, शुद्ध नस्ल के लिए यह मात्रा4 से 6 किलो तक होती है| इसके साथ पशु को दाने का मिश्रण भी दिया जाता है जिसकी मात्रा स्थानीय देसी गाय (ज़ेबू) के लिए 1 से 1.25 किलो तथा संकर गाय, शुद्ध नस्क की देशी गाय याँ भैंस के लिए इसकी मात्रा 2.0 किलो रखी जाती है|  इस विधि द्वारा पशु को खिलने के लिए दाने का मिश्रण उचित अवयवों को ठीक अनुपात में मिलाकर बना होना आवश्यक है| इसके लिए स्व्स्म निम्नलिखित घटकों को दिए हुए अनुपात में मिलाकर सन्तोषजनक पशु दाना बना सकते हैं|

 

खलियां (मूंगफली,सरसों ,तिल,बनौला, आलसी आदि की खलें)

25-35 प्रतिशत

मोटे अनाज (गेहूं, जौ, मक्की, जार आदि)

25-35 प्रतिशत

अनाज के बाईप्रोडक्ट्स (चोकर,चून्नी,चावल की फक आदि )

10-30 प्रतिशत

खनिज मिश्रण

1 प्रतिशत

आयोडीन युक्त नमक

2 प्रतिशत

विटामिन्स ए,डी.-3 का मिश्रण

20-30 ग्रा.प्रति 100 किलो 


2.
उत्पादन के लिए आहार:-
उत्पादन आहार पशु की वह मात्रा है जिसे कि पशु को जीवन निर्वाह के लिए दिए जाने वाले आहार के अतिरिक्त उसके दूध उत्पादन के लिए दिया जाता है| इसमें स्थानीय गाय (ज़ेबू) के लिए प्रति 2.5 किलो दूध के उत्पादन के लिए जीवन निर्वाह आहार के अतिरिक्त 1 किलो दाना देना चाहिए जबकि संकर/देशी दुधारू गायों/भैंसों के लिए यह मात्रा प्रति 2 किलो दूध के लिए दी जाती है| यदि हर चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो हर 10 किलो अच्छे किस्म के हरे चारे को देकर 1 किलो दाना कम किया जा सकता है| इससे पशु आहार की कीमत कुछ कम हो जाएगी और उत्पादन भी ठीक बना रहेगा| पशु को दुग्ध उत्पादन तथ आजीवन निर्वाह के लिए साफ पानी दिन में कम से कम तीन बार जरूर पिलाना चाहिए|

3.गर्भवस्था के लिए आहार:-

पशु की गर्भवस्था में उसे 5वें महीने से अतिरिक्त आहार दिया जाता है क्योंकि इस अवधि के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे की वृद्धि बहुत तेज़ी के साथ होने लगती है| अत: गर्भ में पल रहे बच्चे की उचित वृद्धि व विकास के लिए तथा गाय/भैंस के अगले ब्यांत में सही दुग्ध उत्पादन के लिए इस आहार का देना नितान्त आवश्यक है|इसमें स्थानीय गायों (ज़ेबू कैटल) के लिए1.25 किलो तथा संकर नस्ल की गायों व भैंसों के लिए 1.75 किलो अतिरिक्त दाना दिया जाना चाहिए| अधिक दूध देने वाले पशुओं को गर्भवस्था में 8वें माह से अथवा ब्याने के 6 सप्ताह पहले उनकी दुग्ध ग्रंथियों के पूर्ण विकास के लिए की इच्छानुसार दाने की मात्रा बढा देनी चाहिए| इस के लिए ज़ेबू नस्ल के पशुओं में 3 किलो तथा संकर गायों व भैंसों में 4-5 किलो दाने की मात्रा पशु की निर्वाह आवश्यकता के अतिरिक्त दिया जाना चाहिए|इससे पशु अगले ब्यांत में अपनी क्षमता के अनुसार अधिकतम दुग्धोत्पादन कर सकते हैं|

संतुलित आहार बनाने की अन्य विधियाँ

पशुओं के दाना मिश्रण में काम आने वाले पदार्थों का नाम जान लेना ही काफी नही है,यह ज्ञान पशुओंका राशन परिकलन करने के लिए काफी नही है,एक पशुपालक को इस से प्राप्त होने वाले पाचकतत्वों जैसे कच्ची प्रोटीन, कुल पाचक तत्व और चयापचयी उर्जा का भी ज्ञान होना आवश्यक है तभी भोज्य में पाये जानेवाले तत्वों के आधार पर संतुलित दाना मिश्रण बनाने में सहायता मिल सकेगी,नीचे लिखे गये किसी भी तरीके से यह दाना मिश्रण बनाया जा सकता है,परन्तु यह इस पर भी  निर्भर करता है कि कौन सी चीज सस्ती व आसानी से उपलब्ध है।

1.     मक्का/जौ/जर्इ        40 किलो मात्रा

        बिनौले की खल      16 किलो

        मूंगफली की खल     15 किलो

        गेहूं की चोकर       25 किलो

        मिनरल मिक्सर      02 किलो

        साधारण नमक       01 किलो

        कुल              100 किलो

 

 

 

2.     जौ                    30 किलो

        सरसों की खल       25 किलो

        बिनौले की खल      22 किलो

        गेहूं की चोकर        20 किलो

        मिनरल मिक्स       02 किलो

        साधारण नमक       01 किलो

        कुल              100 किलो

 

3.     मक्का या जौ        40 किलो मात्रा

        मूंगफली की खल    20 किलो

        दालों की चूरी        17 किलो

        चावल की पालिश    20 किलो

        मिनरल मिक्स        02 किलो

        साधारण नमक       01 किलो

        कुल              100 किलो

 4.    गेहूं                   32 किलो मात्रा

        सरसों की खल       10 किलो

        मूंगफली की खल    10 किलो

        बिनौले की खल      10 किलो

        दालों की चूरी        10 किलो

        चौकर                 25 किलो

        मिनरल मिक्स         02 किलो

        नमक                  01 किलो

        कुल                 100 किलो

 5.     गेहूं, जौ या बाजरा      20 किलो 

        बिनौले की खल         27 किलो

        दाने या चने की चूरी   15 किलो

        बिनौला                 15 किलो

        आटे की चोकर         20 किलो

        मिनरल मिक्स           02 किलो

        नमक                    01 किलो

        कुल                   100 किलो

ऊपर दिया गया कोर्इ भी संतुलित आहार भूसे के साथ सानी करके भी खिलाया जा सकता है। इसके साथ कम से कम 4-5 किलो हरा चारा देना आवश्यक है।

 पशुओं के आहार में नमक तथा खनिज मिश्रण का महत्व-

खनिज लवणों की कमी से कई तरह की बीमारियाँ होती हैं, दूध उत्पादन कम हो जाता है और प्रजनन शक्ति भी कम हो जाती है|

पशुपालको को यह सलाह दी जाती है ली ऐसा ना सोचे की बिनौला खिलने से अधिक मक्खन निकलता है और दूध बढ़ता है| बिनौले की जगह बिनौले की खल खिलाने से पशु को ज्यादा प्रोटीन मिलता है| ग्वार चुरी गवार से सस्ती और अधिक पौष्टिक होती है|

 

डा. हिमांशु प्रताप सिंह (पशुपोषण विभाग,पशुचिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान    

       महाविद्यालय, महू (म. प्र.)

       डा. दिव्या तिवारी (पशुपोषण विभाग,पशुचिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान    

       महाविद्यालय, महू (म. प्र.)

       डा. ऍम. के. मेहता. (पशुपोषण विभाग,पशुचिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान    

       महाविद्यालय, महू (म. प्र.) 

 

 

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