ब्रायलर मुर्गी पालन की पूरी जानकारी

Pashu Sandesh, 18th August 2020

डाॅ. नरेंद्र सिंह मीणा, डाॅ. राजेश कुमार एवं डाॅ. अंकित कुमार सिंह

आज भारत में ब्रायलर फार्मिंग एक सुविकसित व्यवसाय के रूप में उभर चूका है। ब्रायलर मुर्गी पालन कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने का व्यवसाय है। इसे छोटे किसान भी छोटे गाँव में कर सकते हैं बस उन्हें सही गाइड की आवश्यकता है।

ब्रायलर मुर्गी पालन का तरीका 

फार्म के लिए जगह का चयन

जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में जमाना हो सके।

मुख्य सड़क से ज्यादा दूर ना हो जिससे लोगों का और गाड़ी का आना जाना सही रूप से हो सके।

बिजली और पानी की सुविधा सही रूप से उपलब्ध हो।

चूज़े, ब्रायलर दाना, दवाईयाँ, वैक्सीन आदि आसानी से उपलब्ध हो।

ब्रायलर मुर्गी बेचने के लिए बाज़ार भी हो।

फार्म के लिए शेड का निर्माण

शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए  और शेड के जाली  वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे।

शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं।

शेड का फर्श पक्का होना चाहिए।

शेड के दोनों ओर जाली वाले साइड में  दीवार फर्श से मात्र 6 इंच ऊँची होनी चाहिए।

शेड की छत को सीमेंट के एसबेस्टस या चादर से बनाना चाहिए और बिच-बिच में वेंटिलेशन के लिए जगह भी होना चाहिए। चादर को दोनों साइड 3 फीट कट लम्बा रखें जिससे की बारिश के बौछार ना जाये।

शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए व बीचो-बीच की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए।

शेड के अन्दर बिजली के बल्ब, मुर्गीदाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी की उचित व्यवस्था होना चाहिए।

एक शेड को दुसरे शेड से थोडा दूर- दूर बनायें। आप चाहें तो एक ही लम्बे शेड को बराबर भाग में दीवार बनाकर भी बाँट सकते हैं।

दाने और पानी के बर्तन

प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है।

दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है पर आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है।

बुरादा या लिटर

बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं।

चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है। लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो।

ब्रूडिंग

चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा  आवश्यक है। ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है। अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पायेगा।

जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को कुछ-कुछ समय में अपने पंखों के निचे रखकर गर्मी देती है उसी प्रकार चूजों को फार्म में भी जरूरत के अनुसार तापमान देना पड़ता है।

ब्रूडिंग कई प्रकार से किया जाता है –  बिजली के बल्ब से, गैस ब्रूडर से या अंगीठी/सिगड़ी से।

ब्रायलर मुर्गी दाना से जुडी जानकारी

ब्रायलर फार्मिंग में 3 प्रकार के दाना की आवश्यकता होती है। यह दाना ब्रायलर चूजों के उम्र और वज़न के अनुसार दिया जाता है –

प्रीस्टार्टर (0-10 दिन तक के चूजों के लिए)

स्टार्टर (11-20 दिन के ब्रायलर चूजों के लिए)

फिनिशर (21 दिन से मुर्गे के बिकने तक)

पीने का पानी

ब्रायलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है। गर्मियों में पानी का पीना दो गुना हो जाता है।जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे –

पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा
दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा

ब्रायलर मुर्गियों के लिए जगह का हिसाब

पहला सप्ताह – 1 वर्गफुट/3 चूज़े
दूसरा सप्ताह – 1 वर्गफुट/2 चूज़े
तीसरा सप्ताहसे 1 किलो होने तक – 1 वर्गफुट/1 चूज़ा
1 से 1.5 किलो ग्राम तक – 1.25 वर्गफुट/1 चूज़ा
1.5 किलो ग्राम से बिकनेतक 1.5 वर्गफुट/1 चूज़ा

सही प्रकार से चूजों को जगह मिलने पर चुज़ो को विकास अच्छा होता है और कई प्रकार की बिमारियों से भी उनका बचाव होता है।

ब्रायलर मुर्गियों के लिए लाइट या रोशनी का प्रबंध

चूजों को 23 घंटे लाइट देना चाहिए और एक घंटे के लिए लाइट बंद करना चाहिए, ता कि चूज़े अंधेरा होने पर भी ना डरें।पहले 2 सप्ताह रोशनी में कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे चूज़े स्ट्रेस फ्री रहतेहैं और दाना पानी अच्छे से खाते हैं। शेड के रौशनी को धीरे – धीरे कम करते जाना चाहिए।

सर्दियों के मौसम में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें ?  

सर्दियों के महीने में चूज़ों की डिलीवरी सुबह के समय कराएँ, शाम या रात को बिलकुल नहीं क्योंकि शाम के समय ठण्ड बढती चली जाती है।

शेड के पर दे चूजों के आने के 24 घंटेपहले से ही ढककर रखें।

चूजों के आने के कम से कम 2-4 घंटे पहले ब्रूडर ON किया हुआ होना चाहिए।

पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें इस से पानी भी थोडा गर्म हो जायेगा।

अगर ठण्ड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के हवा निरोधी भी आप बना सकतेहैं किसी भी पोलिथीन से छोटे गोल शेड को ढककर।

गर्मियों के महीने में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें 

चूज़ों के फार्म पर पहुँचते ही इलेक्ट्रोलाइट पाउडर वाला पानी पिलायें। चूज़ोंको 5-6 घंटे तक यही पानी पीने को दें।

पानी के बर्तन उचित संख्या में लगायें -100 चूज़ों के लिए 3-4 बर्तन।

6-8 घंटे तक मात्र मक्के का दलिया दें।

दिन के समय ब्रूडिंग ना करें।

बुरादे में मोटाई 1.5-2 इंचरखें।

शेड में Ventilation सही होना चाहिए। पर्दों को दिन-रात दोनों समय खुला रखें।

संभव हो सके तो छत पर स्प्रिंकलर लगायें या भूसा के नाड़े छत पर बिछाएं।

गार्मि से उत्पन्न होने वाले स्ट्रेस को कम करने के लिएविटामिन C पानी में दें।

मुर्गियों को 1-1.5 किलो होते ही बिक्री शुरू कर दें।

750 ग्राम से ऊपर वाले मुर्गियों को सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक दाना न दें या फीडर को ऊपर उठा दें।

Overcrowding ना करें, हो सके तो शेड के क्षमता से 20 प्रतिशत कम मुर्गियां रखें।

बारिश के महीने में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें 

चूज़ों के फार्म पर पहुँचते ही इलेक्ट्रोलाइटपाउडर+ पोटेशियम परमैंगनेट वाला पानी पिलायें। चूज़ों को 5-6 घंटे तक यही पानी पीने को दें उसके बाद 6-8 घंटे मक्के का दलिया और उसके बाद प्रीस्टार्टर दें।

मौसम के अनुसार ब्रूडर का उचित तापमान रखें।

शेड में Ventilation सही होना चाहिए। पर्दों को दिन-रात दोनों समय खुला रखें अगर बारिश ज्यादा हो तो ढक दें।

शेड के अन्दर पानी  जमा होने ना दें।

बुरादे की मोटाई 2-3 इंच रखें।

बारिश के महीने में शेड के अन्दर आना-जाना कम करें।

हमेशा स्वस्थ मुर्गियों का ही टीकाकरण करें और बीमार मुर्गियों को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दें !

ब्रायलर चूज़ों के पालन कीं अन्य जानकारी 

चूज़े आने के 7-8 दिन पहले ही शेड को अच्छे से साफ़ करें।सबसे पहले मकड़ी के जालों को अच्छे से हटा दें उसके बाद ही नीचे की सफाई करें। उसके बाद फर्श को अच्छे से धोएं और चुनें से पोताई करें।

उसके बाद शेड के बहार और अन्दर 3 प्रतिशत फोर्मलिन या किसी अच्छे  कीटाणु नाशक का स्प्रे करें तथा दोनों जाली वाले साइड से परदों को ढक दें।

चुजें आने के 1-2 दिन पहले फर्श पर 3-4 इंच तक बुरादे या लिटर की मोटी परत बिछाएं। लिटर पूरा नया और सुखा होना चाहिए।

चूज़े आने के 24 घंटे पहले टिन की चादर से गोलाकार घर बनायें जिसका डाया-मीटर 3 मीटर होना चाहिए 250 चूजों के लिए।

उस गोलाकार घर के अन्दर बुरादे के ऊपर अख़बार या पेपर की दो परतें बिछाएं।

चूज़े आने के 24 घंटे पहले दोनों ओर के पर्दों को गिराकर शेड को पूरी तरह से बंद कर दें और शेड के अन्दर बल्ब या ब्रूडर को चालू कर दें जिससे की चूजों को आते ही सही तापमान (750F) मिले।

साथ ही उसी समय पानी के बर्तनों में पानी भर के ब्रूडर के पास रखें।पानी में इलेक्ट्रोलाइट पाउडर एवं पोटेशियम क्लोराइड मिला कर दें।

चूजों को जितना जल्दी हो सके चिक्स बॉक्स से निकालें ज्यादा दे रहोने पर चूजों को  निर्जलीकरण भी हो सकता है और चूज़े  मर भी सकते हैं। इस्सिलिये चूज़ों को छोड़ने के बाद कुछ देर तक उन्हें पानी पीने के लिए दें।

पानी पीने के बाद मक्के का दलिया पेपर के ऊपर डालें औए दानें के बर्तन में भी मक्के का दलिया 6-8 घंटे तक खाने को दें। उसके बाद ही प्रीस्टार्टर खाने के लिए दें।

सर्दियों के महीने में चूजों को फार्म पर सुबह या दोपहर के समय डिलीवरी कराएँ, रात को कभी ना कराएँ।

छोटे व कमज़ोर चूजों को अच्छे चूज़ो से अलग रखें और उनका दाना पानी भी अलग से उनकों दें। ऐसा इसलिए क्योंकि कमज़ोर चूज़े जब अन्य चूजों के साथ खाना खाते हैं या पानी पीते हैं तो तंदरुस्त चूज़े कमज़ोर को कुचल देते हैं और वो मर जाते हैं। पर अगर आपको कुछ चूजों में किसी भी प्रकार की बीमारी का पता चलता है तो उन्हें उसी समय दुसरे स्वस्थ चूज़ों से तुरंत दूर रखें।

चूज़ों के सही रूप से विकास के लिए उचित दवाइयाँ और टीकाकरण करना बहुत ही आवश्यक है।

गर्मी के मौसम में उत्पन्न तनाव व हीटस्ट्रेस को कम करने के लिए Multivitamin, Vitamin C और Lysine की अधिक आवश्यकता होती है।

शेड के अन्दर बुरादे या लिटर से Ammonia उत्पन्न होने से रोकने के लिए हर हफ्ते एक-दोबार लिटरमें 1 किलोग्राम 20 वर्ग फूट चुना छिड़क कर बुरादा/लिटर को खोदकर उलट-पुलटकरें। इससे लिटर सुखा रहता है और Ammonia उत्पन्न नहीं हो पाता।

पानी को साफ़ रकने के लिए प्रति 1000 लिटर पानी में 6 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर और 1 ग्राम पोटैशियम पर मैंगनेट मिलाएं।

टीकाकरण के 3 दिन पहलेऔर 3 दिन बाद किसी भी प्रकार के एंटीबायोटिक का उपयोग ना करें इससे वैक्सीन की शक्ति नस्ट हो जाती है। साथ ही 1 दिनपहले और 1 दिन बाद पानी में किसी भी प्रकार का सेनिटाइज़र या ब्लीचिंग पाउडर ना मिलाएं। 

ब्रायलर मुर्गी  फार्म की बायोसिक्यूरिटी से जुड़ी जानकारी

ब्रायलर मुर्गी के दाना को साफ़ सूखे स्थान पर रखें क्योंकि यह खुला और पुराना हो जाने पर दाने में  फफून लग जाते हैं जो चूज़ों और मुर्गियों के स्वास्थ के लिए ख़राब होता है।

बाहर के व्यक्तियों को फार्म तथा शेड के पास न जाने दें! इससे फार्म में बाहर से इन्फेक्शन आने का खतरा बढ़ता है।

शेड के बाहर तथा अन्दर महीने में 3-4 बार चुने का छिडकाव करें।

मुर्गी डीलर के गाड़ी को शेड से दूर रोकें। पास ले जाने पर दुसरे फार्म के इन्फेक्शन फार्म में आने का खतरा होता है।

कुत्ते, बिल्ली, चूहे और बाहरी पक्षियों को फार्म के भीतर ना जाने दें।

फार्म के शेड के अन्दर घुसने से पहले अपने रबर के जूतों को पहनें और पहनकर 3 प्रतिशत  फोर्मलिन में डूबाकर अन्दर घुसें।

एक शेड से दुसरे शेड में जाने से पहले अपने रबर के जूतों को दोबारा 3 प्रतिशत फोर्मलिन में दुबयें या प्रति शेड के लिए अलग-अलग जूतों का इस्तेमाल करें तथा हांथों को साबुन से अच्छे से धोएं।

एक ही शेड में उसके क्षमता के अनुसार ही चूज़े रखें Over crowding ना करें। इससे बीमारियाँ बढती हैं और साफ़ सफाई में मुश्किल होती है।

ब्रायलर मुर्गियों के बिक्री के बाद शेड के लिटर को शेड के पास ना फेकें उन्हें कहीं दूर बड़े गढ़े खुदवा कर गडा  दें।

डाॅ. नरेंद्र सिंह मीणा, डाॅ. राजेश कुमार एवं डाॅ. अंकित कुमार सिंह
स्नातकोतर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान
पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर