आत्मनिर्भर गांव-आत्म निर्भर भारत के लिए गोबर से बनी सामग्री का प्रयोग करें : डॉ. वल्लभभाई कथीरिया

इस बार की दिवाली में गोबर से बने दीपक जलाएं

पशु संदेश, 02 सितम्बर 2020

डॉक्टर वल्लभ भाई कथीरिया से पशु संदेश द्वारा किए गए साक्षात्कार की प्रस्तुत है अगली कड़ी

2)पशु संदेश (डॉ. आर. बी. चौधरी) : वर्तमान में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग किस प्रकार के कार्यक्रम संचालित कर रहा है ?

डॉ. वल्लभभाई कथीरिया : इस समय राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गोवंशीय पशुओं के संरक्षण- संवर्धन के लिए कई तरह से बढ़ावा देने वाले कार्य कर रहा है। जिसके लिए विभिन्न प्रकार गौ-आधारित लघु उद्योगों को सम्मिलित कर छोटी से बड़ी गौशालाओ को आमदनी बढ़ाने वाले कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके साथ - साथ गौशाला (एनिमल शेल्टर) के अलावा गौ-अभ्यारण स्थापित करने को कहा जा रहा है। देशभर के कई राज्यों में लोग अपनी गौशाला पर अतिरिक्त आय कमाने हेतु गोबर- गोमूत्र के विभिन्न प्रयोग से बहुत सारे वस्तुएं बना रहे हैं। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने इस दिशा में गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश मूर्ति निर्माण का निर्माण पर विशेष बल दिया है। बल्कि, आयोग ने इस दिशा में एक अभियान चलाया है जिसमें तमाम प्रदेश में हजारों युवाओं तथा महिलाओं ने खुल कर हिस्सा लिया है। वैसे , जब हमारे देश में सदियों से यह मान्यता चली आ रही है कि जब किसी काम की शुरुआत होती है तो हम गणपति पूजन करते हैं।इसलिए इस बार के गणेश चतुर्थी के आयोजन से मूर्ति निर्माण के कार्यों का शुरुआत किया जा रहा है और इस त्यौहार के बाद अगले त्यौहार-दीपावली के लिए अभियान आरंभ कर दिया जाएगा।गोबर सेमूर्ति का निर्माण सस्ता तथा सरल भी है। गोबर से मूर्ति बनाने एक तरफ गोबर का उपयोग होगा तो लोगों की दूसरी तरफ किसान की आमदनी बढ़ेगी। साथ ही साथ गांव स्वाबलंबी बनेगा और इससे रोजगार के साधन भी मिलेंगे। ऐसा देखा जा रहा है कि महिलाओं और युवाओं को रोजगार काफी आकर्षण बढ़ा है तथा ग्रामीण भारत में "सेल्फ हेल्प" पद्धति के अनुसरण से आत्मनिर्भर भारतका सपना साकार हो सकेगा। मुझे तमाम नौजवानों से बात कर ने से यह ज्ञात हुआ कि गणेश चतुर्थी के बाद आगामी त्योहारों में गोबर की मूर्तियां खूब बनेंगी। लोग श्री कृष्ण , श्रीराम , दुर्गा या सरस्वती मां की मूर्ति से लेकर गोबर के द्वारा जलोनी हेतु लट्ठा या प्लाईवुड इत्यादि सामग्री बना रहे हैं। कई जगहों पर लोग गोबर से पेपर ,चप्पल ,घड़ी का कवर , नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए पिरामिड ,फसलों के लिए कीटनाशक एवं ऑर्गेनिक खाद खूब बना रहे हैं। आयोग नए-नए हुनर को उत्साहित करने के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग आयोजित करने का प्लान बना रहे हैं है। गोबर गोमूत्र से बनाए गए साज-सामान ,पंचगव्य औषधियां ,फिनायल , ऑर्गेनिक खाद बनाने और उनका मार्केट विकसित करने का किया जा रहा है। इसके लिए एंटरप्रेन्योरसिप को बढ़ावा दे रहे है। आज के परिपेक्ष में गोबर एक ऐसा महत्वपूर्ण एवं उपयोगी संसाधनहै जिससे तमाम इको फ्रेंडली छोटे-छोटे कुटीर उद्योग लगाए जा सकते हैं। आयोग द्वारा संचालित गणेश मूर्ति निर्माण एवं विक्रय अभियान अत्यंत सफल रहा है और अब दिवाली में गोबर से बनाए हुए दीपक के अभियान की बारी है।

(क्रमशः जारी )