लंपी स्किन डिजीज के लक्षण एवं उसकी रोकथाम के उपाय
Pashu Sandesh, 19 October 2022
डा विवेक अग्रवाल, डा राकेश यादव डा मुकेश शाक्य, डा निघि चौधरी, डा गया प्रसाद जाटव, डा ए के जयराव एवं डा निर्मंला जामरा
पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय,महू
प्रश्न:- लंपी स्किन डिसीज क्या है?
उत्तर:- यह एक पॉक्स विषाणु से होने वाली बीमारी है। इसमें गाय भैंस के शरीर में 2 से 5 सेंटीमीटर व्यास की गांठे पड़ जाती हैं। इसी कारण इस रोग को आम बोलचाल की भाषा में ढेलेदार त्वचा रोग कहते हैं। यह गांठे मुख्य रूप से सिर, गर्दन, थन विभिन्न जननांगों के आस-पास होती हैं । जो बाद में गहरे घाव में बदल जाती है।
प्रश्न:- इस बीमारी के मुख्य लक्षण अर्थात इस रोग की पहचान कैसे करते हैं?
उत्तर:-
- सबसे प्रथम लक्षण इस रोग में देखने के लिए मिलता है। वह यह है कि शरीर का तापक्रम 106 डिग्री फॉरेनहाइट तक जाता है।
- जानवर चारा खाना छोड़ता है एवं सुस्त हो जाता है।
- चूंकि सांस नली में भी घाव हो जाते हैं। अतः सांस लेने में दिक्कत आती है।
- इसमें लसीका ग्रंथि में सूजन आ जाती है जिस को हाथ से पकड़ कर महसूस किया जा सकता है
- लसिका ग्रंथि में सूजन के कारण रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है जिसके कारण डिपेंडेट पार्ट में पानी भर जाता है।
- नाक एवं आंखों से पानी आना शुरू हो जाता है।
- अत्यधिक लार का स्राव होता है।
- त्वचा की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है जिसके कारण पशु के सही होने के उपरांत भी आर्थिक नुकसान होता है।
प्रश्न:- यह बीमारी गाय-भैंसों में कैसे फैलती है?
उत्तर:-
- मच्छर मक्खी किलनी के द्वारा यह बीमारी गाय-भैंसों में फैलती है।
- गाय भैंस जो इस बीमारी से ग्रसित होती हैं उनके लार एवं नाक के स्रावन में भी इसके विषाणु होते हैं जो कि पानी एवं चारे को दूषित करते हैं एवं ऐसे दूषित पानी एवं चारे को दूसरी गाय भैंस खा-लेती हैं तो उनको भी यह बीमारी फैल जाती है।
- यदि कोई सांड इस बीमारी से ग्रसित है तो उसके वीर्य से भी यह बीमारी फैलती है।
प्रश्न:- यह बीमारी कितनी खतरनाक है?
उत्तर:- इस बीमारी से लगभग 45% तक पशु संक्रमित हो सकते हैं एवं मृत्यु दर 15% तक हो सकती है।
प्रश्न:- बीमारी की रोकथाम के लिए क्या उपाय करना चाहिए?
उत्तर:-
- संक्रमित क्षेत्र में ना तो जानवरों को बाहर ले जाना चाहिए और ना ही संक्रमित क्षेत्र में बाहर से जानवर को अंदर लाना चाहिए।
- संक्रमित पशुओं की देखभाल करने वाले पशुपालकों को स्वास्थ्य पशुओं के संपर्क में नहीं आना चाहिए या हाथों को पूर्ण रूप से साबुन से धोने के उपरांत ही स्वस्थ पशुओं की देखभाल करनी चाहिए।
- कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए ताकि मक्खियां मच्छर एवं किलनी इत्यादि को रोका जा सके।
प्रश्न:- क्या इस बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण उपलब्ध है क्या बीमारी पशु का भी टीकाकरण किया जा सकता है?
उत्तर:-
- बकरियों में चेचक की रोकथाम के लिए उपयोग होने वाला टीका ही लंपी स्किन डिसीज की बीमारी के लिए उपयोग किया जाता है।
- संक्रमित जानवरों का टीकाकरण कभी भी नहीं करना चाहिए।
- संक्रमित गांव के आसपास 5 किलोमीटर तक रिंग टीकाकरण करना चाहिए।
- एक ही सुई से सभी जानवरों में टीकाकरण नहीं करना चाहिए। अन्यथा यह बीमारी एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलती है।
प्रश्न:- क्या छोटे बड़े जानवर सभी एक समान रूप से संक्रमित होते हैं।
उत्तर:-
- बछड़े, बड़े जानवरों की तुलना में ज्यादा संक्रमित होते हैं।
- गाय की विदेशी नस्लें, देसी नस्लों की तुलना में ज्यादा संक्रमित होती हैं।
- यह बीमारी गायों में भैंसों की तुलना में ज्यादा भयानक रूप लेती हैं।
प्रश्न:- जानवर की मृत्यु होने पर ऐसे पशुओं का क्या करना चाहिए?
उत्तर:- जानवर की मृत्यु होने पर उसको गहरा गड्डा खोदकर गाड़ना चाहिए।
प्रश्न:- क्या यह बीमारी जानवरों से इंसानों में भी फैलती है?
उत्तर:- नहीं
प्रश्न:- क्या इस बीमारी से ग्रसित गाय भैसों का दूध पीना सुरक्षित है?
उत्तर:- अभी तक यह बीमारी संक्रमित गाय भैंसों के दूध से इंसानों में नहीं देखी गई है फिर भी और ज्यादा सुरक्षा की दृष्टी से गाय भैंस का दूध उबालने के उपरांत ही सेवन करना चाहिए।
प्रश्न:- क्या संक्रमित गाय भैंसों का बछड़ा, बछड़ी या पाड़ा पाड़ी दूध पीता है तो क्या यह बीमारी उसमें भी हो सकती है?
उत्तर:- हां, क्योंकि दूध को उबाला नहीं जाता है।
इलाज से बेहतर बचाव होता है। अतः अपने गाय-भैंसों का टीकाकरण अवश्य कराएं।