पशुओ मे योनिमार्ग, गर्भाशय ग्रीवा अथवा गर्भाशय का बाहर आना

Pashu Sandesh, 10 June 2020

आशुतोष बसेड़ा, जितेंद्र अग्रवाल, अतुल सक्सेना

पशुओ में जननांगों के बाहर आने की समस्या मुख्य रूप से प्रसव से पहले या प्रसव के बाद होती है। पशुओ मे जननांगों के बाहर आने को दो तरह से बांटा गया है। पहला योनिमार्ग, गर्भाशय ग्रीवा का बाहर आना और दूसरा गर्भाशय का बाहर आ जाना। योनिमार्ग, गर्भाशय ग्रीवा के बाहर आने की समस्या प्रमुख रूप से प्रसव से पहले अंतिम तीन महीनो में होने की संभावना रहती है जबकि सम्पूर्ण गर्भाशय के बाहर आने की समस्या प्रसव के बाद होती है। पशुओ मे जननांगों (योनिमार्ग, गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय) का योनिमार्ग से बाहर आना मुख्य रूप से जुगाली करने वाले पशुओ मे देखा जाता है। पशुपालको को इस समस्या के कारणो से अवगत कराना और इसके उपचार व रोकथाम के लिए संभव प्रयास करना हमारी ज़िम्मेदारी है। यह देखा गया है की यह समस्या एक ब्यात मे आने के उपरांत हर ब्यात मे बनी रहती है, क्योकि यह माना जाता है की यह आनुवंशिक कारणो से होती है जिससे की यह लक्षण आगे की पीढ़ीयों मे भी बने रहते है। हमे रोकथाम के तरीको के बारे मे किसान को ज्यादा जानकारी देनी चाहिए। जिससे की आने वाले ब्यातों मे पशु की प्रजनन क्षमता बनी रहे और इस समस्या को आने वाले ब्यात मे कम किया जा सके।

योनिमार्ग से योनि, गर्भाशय ग्रीवा का बाहर आना

यह मुख्य रूप से गर्भावधि के अंतिम तीन महीनो मे ज्यादा देखा गया है। यह समस्या ज्यादा बार बच्चे दे चुके पशु मे ज्यादा होने की संभावना रहती है। अंतिम तीन महीनो मे गर्भाशय का भार बढ़ने के कारण गर्भाशय मे दबाव ज्यादा रहता है, जिसके कारण अगर कुल्हे के बंधन कमजोर है तो योनिमार्ग से योनि,गर्भाशय ग्रीवा बाहर आ जाती है। योनिमार्ग से योनि, गर्भाशय ग्रीवा का बाहर आने को चार प्रकार से बाँटा गया है। इसमे पहले प्रकार मे योनि योनिमार्ग से बाहर तब आती है जब पशु बैठा होता है इसे लोकल भाषा मे फूल का बाहर आ जाना भी कहते है। पशु के खड़े हो जाने पर योनि वापिस अपनी स्थिति मे चली जाती है। इस स्थिति पर पशुपालक को कुछ सावधानिया रखना शुरू कर देनी चाहिए। जैसे की पशु के बैठने वाले स्थान पर पशु के पिछले वाले भाग को थोड़ा ऊपर उठा कर रखना चाहिए। जिससे की पशु के पिछले हिस्से पर ज्यादा ज़ोर न लगे। पशु के आस पास सफाई का भरपूर ध्यान रखना चाहिए और पशु को कैल्सियम उचित मात्रा मे खिलाना चाहिए। दूसरे प्रकार मे योनि बैठे और खड़े पशु दोनो ही समय पर बाहर रहती है पर गर्भाशय ग्रीवा बाहर नहीं दिखती है। इस स्थिति मे योनि के बहुत समय तक बाहर रहने से वातावरण मे मौजूद जीवाणु और विषाणु इसे संक्रमित कर सकते है। तीसरे प्रकार मे योनि के साथ साथ गर्भाशय ग्रीवा भी योनिमार्ग से बाहर दिखती है। इस स्थिति मे पेशाबदानी मे दबाव के कारण पशु का पेशाब आना भी बंद हो जाता है और पेशाब के रुक जाने के कारण फूल का आकार भी बड़ा हो जाता है। चौथे प्रकार मे योनि, गर्भाशय ग्रीवा योनिमार्ग से बाहर तो रहती है ही साथ मे योनि, गर्भाशय ग्रीवा मे बार-बार पशु के उठने बैठने से और आस पास मोजूद धारदार चीजो, गोबर, धूल मे पड़े सुक्ष्मजीव के कारण योनि और गर्भाशय ग्रीवा का कटना और फटना,गलना और संक्रमण हो जाता है। जो बच्चे की जान और पशु की प्रजनन क्षमता दोनो के लिए ही नुकसानदेय है।

पशुपालक के लिए यह सुझाव है की जैसे ही आपको लगे की गर्भाशय से योनि बाहर दिख रही है तो तुरंत पशुचिकित्सक कि सलाह ले। योनि के योनिमार्ग से बाहर आने की समस्या यदि गर्भावस्था मे एक बार आती है तो ये देखा गया है कि यह समस्या बार बार हर ब्यात मे आने कि संभावना बनी रहती है। यह समस्या पशु कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मे भी जाती है (यानि कि अगर माँ मे गर्भाशय के अंतिम महिनों मे फूल बाहर आ रहा है तो उसकि बछिया जब गर्भधारण करेगी तो उसमे भी यह समस्या होने की संभावना रहेगी)। इसके अलावा योनि के बाहर आने के कारणो मे कुछ संक्रमण के कारण, योनिमार्ग ,पेशाबमार्ग या गुदाद्वार मे किसी तरह कि जलन के कारण भी योनि बाहर आ जाती है। इसीलिए बीमारी के उपचार से पहले निदान जानने कि जरूरत है। बुढ़े पशुओ मे यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। जो पशु तिपतिया घास ज्यादा खाते है उनमे भी यह संमस्या ज्यादा होती है क्यूंकी इस घास मे फायटोएस्ट्रोजन होते है जिसके कारण कुल्हे के बंधन कमजोर हो जाते है। जिससे कि योनिमार्ग के बाहर आने का खतरा बढ़ जाता है। पशु को गर्भाशय के अंतिम महिनों मे जरूरत से ज्यादा चारा देने से भी यह समस्या बन सकती है। योनिमार्ग से योनि, गर्भाशय ग्रीवा का बाहर आना ज्यादा देखा जाता है जबकि गर्भाशय का बाहर आना बच्चे देने के तुरंत बाद देखा जाता है।

गर्भाशय का बाहर आना

गर्भाशय का बाहर आना बच्चे देने के तुरंत बाद या बच्चा देने के कुछ घंटो बाद देखा जाता है। योनि या गर्भाशय ग्रीवा के बाहर आने के बाद गर्भाशय योनिमार्ग से बाहर लटका रहता है। यह गर्भाशय गहरे लाल रंग का होता है जिसमे की बटन की आकृति के करंकल्स होते है। यह एक आपात चिकित्सा की स्थिति है। ऐसा होने पर पशुपालको के लिए सुझाव है की बिना देर किए हुए पशुचिकित्सक से संपर्क करे। यह एक जानलेवा समस्या है। देरी की स्थिति मे पशु की जान भी जा सकती है। पशुपालक को यह समझने की जरूरत है की अगर गर्भाशय को बिना तरीका जाने अंदर करने की कोशिश की गयी तो इससे स्थिति सुधरने के बजाय और बिगड़ सकती है। इसलिए पशुपालक को सुझाव है की ऐसे स्थिति मे एक साफ कपड़े से गर्भाशय का आवरण कर ले और जल्द से जल्द पशुचिकित्सक को इसकी जानकारी दे।

गर्भाशय के बाहर आ जाने के कारण

कैल्सियम की कमी, ज्यादा मात्रा मे एस्ट्रोजन हार्मोन का निकलना जिससे की कूल्हे के बंधनो का कमजोर हो जाना, ज्यादा मात्रा मे सूखा खाना, योनिमार्ग, पेशाबमार्ग या गुदाद्वार मे किसी तरह कि जलन या संक्रमण के कारण, आनुवांशिक कारणो से, प्रसव के समय माँ द्वारा ज्यादा ज़ोर लगाने पर, फसे हुए बच्चे को ज्यादा बलपूर्वक खीचने पर, पशु को एक ही जगह पर बंधे रहने पर, पशु को नियमित रूप से व्यायाम न कराने पर योनि, गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय के बाहर आने का खतरा बना रहता है।

उपचार

सबसे पहले योनिमार्ग से बाहर निकले हुए भाग को ठंडे साफ पानी मे पॉटेश्यम परमेगनेट(1:1000) मिलाकर साफ कर लेना चाहिए फिर बाहर निकले हुए भाग को थोड़ा ऊपर उठाना चाहिए, जिससे की पेसाबदानी से पेसाब बाहर निकल जाए जरूरत पड़ने पर पेसाबदानी मे नली लगाकर भी पेसाब बाहर निकाला जा सकता है। पेसाब बाहर निकालने से योनिमार्ग से बाहर निकले हुए भाग को वापस पुरानी जगह पर पहुचाने मे आसानी होती है। यदि पशु ज्यादा ज़ोर लगा रहा हो तो पशु को पिछला हिस्सा सुन्न करने का इंजेक्शन देना चाहिए ताकि जानवर ज़ोर न लगाए इससे भी बाहर निकले हुए भाग को योनिमार्ग के अंदर पहुचाने मे आसानी होगी। इसके बाद बाहर निकले हुए भाग पर एंटिसफ़्टिक पावडर, लीगनोकेन जेल्ली और प्रोलेप्स इन का पाउडर या स्प्रे लगाकर पाँच मिनट तक छोड़ देना चाहिए फिर जब बाहर निकला हुए भाग के वजन मे कमी आ जाए तो जो भाग योनिमार्ग के नजदीक है उस भाग से योनिमार्ग को धीरे- धीरे अंदर उसके स्थान पर पहुचा देना चाहिए। इसके बाद योनिमार्ग के दुबारा बाहर न निकलने के लिए रस्सी की बेड़ी या योनिमार्ग के ऊपर वाले भाग को फीते की सहायता से बंद कर देना चाहिए पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए की योनिमार्ग के नीचे वाले भाग मे चार अंगुली की जगह हो ताकि पशु को पेसाब करने मे कोई परेशानी न हो। साथ मे पशु को कैल्सियम भी देना चाहिए और संक्रमण और सूजन को कम करने के लिए सहायक उपचार देना चाहिए।

पशुपालको के लिए सुझाव

पशुपालको को पशु के रहने वाले स्थान पर साफ सफाई का ख़याल रखना चाहिए। जिन पशुओ मे अपने पहले ब्यात मे योनिमार्ग या गर्भाशय के बाहर आने की समस्या थी उनके बैठने वाले स्थान को ऐसा बनाना चाहिए की पिछला हिस्सा थोड़ा उठा रहे ताकि पिछले वाले हिस्से मे ज्यादा ज़ोर न पड़े। पशुओ को केल्सियम की उचित मात्रा नियमित रूप से देनी चाहिए। पशुओ को नियमित रूप से व्यायाम कराना चाहिए। जिन पशुओ मे यह समस्या आनुवांशिक कारणो से हो उनको गाभिन नहीं कराना चाहिए। यदि पशुओ मे यह समस्या आ गयी है तो पशुचिकित्सक से संपर्क करे और उनके निर्देशानुसार काम करे।

 आशुतोष बसेड़ा, जितेंद्र अग्रवाल, अतुल सक्सेना

मादा पशु प्रजनन रोग विभाग दुवासू, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, मथुरा

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