गाय में कृत्रिम गर्भाधान (AI)एवं भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक (ETT) 

Pashu Sandesh, 04 Aug 2022

डा.अंतरा केन, डा. तनुप्रिया राम, डा. मयंक सोनी ,डा. पूर्णिमा द्विवेदी ,डा.प्राची सक्सॆना , डा शिवांगी पाठक (सहायक प्राध्यापक)

नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय, अधारताल, जबलपुर

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ पशु एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं, यहाँ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुओ की महत्त्वपूर्ण भूमिका हैl पशुपालन , किसानों के लिए सदियों से एक मुख्य पेशा रहा है. पशुओं की उपयोगिता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कृषि से जुड़े कई प्रमुख कामों में इनका इस्तेमाल किया जाता रहा है.आमतौर पर किसान गाय और भैंस पालते हैं क्योंकि वह दूध देती है और यह उनकी आमदनी का जरिया है एक गांव में बमुश्किल एक या दो भैंसे या सांड मिलते हैं जिंसे प्रजनन की प्रक्रिया कराई जाती हैं. ऐसे में गाय और भैंस को अनुकूल वक्त पर गर्भधारण नहीं मिल पाता और कई बार 2 या 3 वर्षों तक वह प्रजनन नहीं कर पाती. इससे उनकी दूध देने की क्षमता प्रभावित होती है और इसका सीधा असर किसानों की आय पर पड़ता है. बिना आय के किसान को इन पशुओं को रखना मुश्किल हो जाता है और मजबूरन उसे इन पशुओं को छोड़ना पड़ता है.|

इस मुश्किल का हल है " कृत्रिम गर्भाधान" एवं " भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक" .

कृत्रिम गर्भाधान :

- भारत में प्रजनन योग्य भैंसों को प्राकृतिक रूप से गर्वित कराने के लिए लगभग 290000 भैंसा साड़ॊ की आवश्यकता है इतनी विशाल संख्या में अच्छी नस्ल के सांड उपलब्ध नहीं है इस कमी की पूर्ति के लिए कृत्रिम गर्भाधान आवश्यक है कृत्रिम गर्भाधान प्रणाली में उच्च कोटि के नर पशु के वीर्य को एकत्र करके प्रयोगशाला में पूर्ण रूप से जांच व परख के बाद तरल नाइट्रोजन में हिम कृत रूप में संरक्षित किया जाता है जब मादा पशु गर्मी में आती हैं तब उस हिम कृत वीर्य को तरल अवस्था में लाकर गर्भाधान यंत्र द्वारा मादा की जननेंद्रिय में सूचित किया जाता है जबकि प्राकृतिक तौर पर नर समागम द्वारा गर्मी में आई मादा की योनि में वीर्य सेचन करता है | पशुपालन व्यवसाय में कृत्रिम गर्भधान विधि ने एक बहुत क्रांतिकारी परिवर्तन किया है| इस विधि से पशुओं की नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई है| पशुधन के विकास हेतु अब तक इस विधि से अच्छी कोई अन्य तकनीक नहीं है| प्राकृतिक रूप से 1 सांड 1 साल में 50 से 100 भैंस गर्वित कर सकता है जबकि हिमीकृत वीर्य कृत्रिम गर्भाधान द्वारा 1 साल से 3000 से 5000 भैंसों को गर्वित किया जा सकता है अच्छी नस्ल उत्पन्न करने और अपने देसी नस्ल की भैंसों में सुधार करने का कृत्रिम गर्भाधान ही एकमात्र उपाय है जो हमारे देश के लिए लाभकारी है और होगा|

कृत्रिम गर्भाधान के लाभ

1.यह सांड रखने की अपेक्षा सस्ता उपाय है छोटे पशुपालकों को जो कि केवल एक या दो पशु रखते हैं विशेष रूप से उपयोगी है|

2.इस विधि द्वारा अच्छे सांडों का समुचित उपयोग किया जाता है तथा इस विधि से अच्छी नस्ल का उन्नत सांड कई गुना ज्यादा भैंसों को गर्वित कर सकता है|

3.इस विधि में वीर को पूर्ण जांच के बाद प्रयोग में लाते हैं ताकि कुछ रोगों का प्रसार रोका जा सके|

4.मादा जनन तंत्र में पाई जाने वाली विधियों का पता लगाना आसान हो जाता है तथा उनकी समुचित उपचार व्यवस्था भी की जा सकती है|

5.सांड का संरक्षित वीर्य मरणोपरांत भी उपयोग हो सकता है|

6.बढ़िया परंतु सुस्त , वृद्ध या चोट लगने से चलने में असमर्थ सांड का वीर्य भी प्राप्त करके भैंसों को गर्भित किया जा सकता है|

7.वीर्य हवाई जहाज या अन्य साधनों द्वारा आसानी से दूरदराज पर भेजा जा सकता है तथा इसको बेचने से विदेशी मुद्रा कमाई जा सकती है|

भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक

भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक अच्छी गाय एवं भैंस से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की तकनीक है. इस तकनीक में दाता गाय के अंडकोष से एक बार में कई अंडे बनाए जाते हैं. इन सब अंडो को अच्छे गुणवत्ता वाले वीर्य से  गर्भित किया जाता है. करीब 7 दिन के बाद बने हुए सभी भ्रूण गर्भाशय से बाहर निकाल लिए जाते हैं. भ्रूण प्राप्त करने वाली गाय का उच्च गुणवत्ता का होना जरूरी नहीं है. हालाकी,  उसकी तथा दाता गाय की हीट की स्थिति एक जैसी होनी जरूरी है. भ्रूण प्रत्यारोपण की पूरी प्रक्रिया बगैर सर्जरी के की जाती है. इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली गाय और भैंस का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करके अधिकतम बच्चे पैदा करना है|

भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के लाभ

1.एक गाय से उसके औसतन के मुकाबले ज्यादा उन्नतशील नस्ल की संततियां प्राप्त की जा सकती है|

2.कम आयु के नए वह मादा पशु का चयन कर उनसे संततियां प्राप्त की जा सकती है|

3.पशुओं में बांझपन की समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाता है|

4.इस विधि के द्वारा संक्रामक रोगों की रोकथाम आसानी से की जा सकती है|

हाल ही में नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर, मध्य प्रदेश के शोधकर्ताओं ने भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक की मदद से 11 साहिवाल बछड़ों को सफलतापूर्वक पैदा किया है जिसमें से 3 नर एवं 8 मादा है पशुधन की गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से यह उपलब्धि हासिल की गई है निश्चित तौर पर यह तकनीक भारत में पशुपालन में क्रांति लाएगी|