मुर्गी फार्म में चूजों का प्रबंधन

Pashu Sandesh, 23 July 2022

अर्चना राजे1, नितिन गुप्ता2, आदित्य अग्रवाल3, जिज्ञासा राणा4, रोहिणी गुप्ता5 , राजेश बान्द्रे6

मुर्गी पालन के व्यापार में चूजों की देखभाल करना सबसे जरूरी होता है। यह इसलिए जरूरी होता है क्योंकि चूजों के बेहतर विकास पर ही मुर्गीपालन का पूरा व्यापार निर्भर करता है। चूजे बहुत नाजुक  होते हैं इसलिए उनकी देखभाल करना बहुत मुश्किल होता है हर चीज पर सही से ध्यान देना पड़ता है। अंडे से निकलने के बाद चूजों को सीधे मुर्गीपालन करने वाले व्यापारियों के पास ऑर्डर के अनुसार डिलीवरी दिया जाता है। मुर्गी फार्म तक चूजे पहुंचने से पहले और बाद में नीचे लिखी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातो का ध्यान देना चाहिए

● चूजे आने से 7-8 दिन पहले ही शेड को अच्छे से साफ करें । सबसे पहले मकड़ी के जालों को अच्छे से हटा दें उसके बाद ही नीचे की सफाई करें । उसके बाद फर्श को पानी से धोएं और उसके बाद उसमे फोर्मलिन और चूना मिलाकर लगायें।

● हमेशा याद रखें जितनी जल्दी हो सके चूजों की डिलीवरी लें । चूजों की डिलीवरी में देरी होने पर उन्हें डिहाइड्रेशन हो सकता है जिसके कारण मृत्युदर में वृद्धि हो सकती है या बाद में उनके विकास में कमी आ सकती है । ऐसा होने पर व्यापार में नुकसान का खतरा बनता है।

● चूजों की संख्याओं की गणना की सटीकता की जांच के लिए बक्सों को ठीक से गिना जाना चाहिए ।

● इसके बाद शेड के बाहर और अंदर 3 प्रतिशत फॉर्मलिन के साथ स्प्रे करें । अगर आपने पहले से ही फोर्मलिन को चुने के साथ मिला दिया है तो आपको इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी ।

● अपने फार्म में चूजों के आने से 1 से 2 दिन पहले 3-4 इंच लिटर फैला दें।

● चूजों के आने के 24 घंटों से पहले चूजों के लिए गोल चादर की मदद से छोटा गोल बोर्डिंग सेट बनाते हैं । प्रत्येक ब्रूडिंग सेट में 250 चूजों को विभाजित करें और कूड़े के ऊपर कागज के टुकड़े रखें और उसके ऊपर दाना को छिड़कें और छोटे ड्रिंकर में पानी पीने को दें ।

● ब्रूडर के पास पानी और फीडर कंटेनर रखें।

● चूजों के आते ही उन्हें जल्द से जल्द गोलाकार बनाये हुए घर में स्थानान्तरण कर दें।

● सबसे पहले 6-7 घंटों के लिए मकई पाउडर या सूजी खाने को दे।

● कमजोर चूजों को स्वस्थ से दूर या अलग रखें।

● चूजों की उचित वृद्धि के लिए आपको सही दवाएं और पूर्ण टीकाकरण की आवश्यकता होती है।

● गर्मी के मौसम में तनाव समस्या को कम करने के लिए मल्टीविटामिनए विटामिन सी और लाइसिन को चूजों को दिया जाना चाहिए।

● हफ्ते में दो बार लिटर में 1 किलोग्राम 20 वर्ग फुट चूने का पाउडर मिक्स करें। यह लिटर में अमोनिया को कम कर देता है और सुखा रखने में मदद करता है।

● पानी को साफ करने के लिए संवेदकए ब्लीचिंग पाउडर 6 ग्राम 1000 लीटर और 1 ग्राम पोटेशियम परमैनेटनेट मिलाकर रखें।

● यदि आपको अपने चूजों के साथ किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं मिलती हैं तो संभवतः जितनी जल्दी हो सके अपने पशुचिकित्सक से परामर्श करें।

● सुनिश्चित करें कि प्रत्येक गोलाकार घर में चूजों को उचित संख्या में रखा गया है । कोशिश करें कि 250-300 चूजें एक ही गोलाकार घर ब्रूडिंग के लिए रखे ।

● चूजों को शांत और तनाव मुक्त रखने के प्लेसमेंट के दौरान मंद शेड लाइट रखें।

● चूजों को ध्यान से रखा जाना चाहिए और ब्रूडिंग क्षेत्र में फीड और पानी पास में वितरित किया जाना चाहिए ताकि वे तेजी से पानी पी सकें और खा सकें जिससे की चूजे तेजी से पुनः हाइड्रेट हो पाए।

● पुराना वजन निर्धारित करने के लिए बक्से का वजन करना चाहिए ।

● चूजों के बक्से को तुरंत ही चूजों को रखने के बाद हटा दिया जाना चाहिए ।

● एक बार सभी चूजों को रखने के बाद रोशनी को ब्रूडिंग क्षेत्र में पूरी तीव्रता के साथ लाया जाना चाहिए ताकि चूजों की जल्द से जल्द गर्मी मिल सके ।

● पहले कुछ दिनों के दौरान चूजों के वितरण की जांच करेंण् फीडरए ड्रिंकर्सए वेंटिलेशन या हीटिंग सिस्टम में किसी भी समस्याओं के लिए यह एक संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है ।

● चूजों को साफ पानी दें और हर दिन पानी के फीडर और ड्रिंकर को साफ करें ।

● ब्रायलर चूजों को कम से कम 7 दिन तक ब्रूडिंग में रखें और देसी मुर्गियों को 15-20 दिन तक मौसम के अनुसार रखें ।

 

अर्चना राजे1, नितिन गुप्ता2, आदित्य अग्रवाल3, जिज्ञासा राणा4, रोहिणी गुप्ता5 , राजेश बान्द्रे6

1 पी.एच.डी स्कालर, पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा म.प्र.

2 पी.एच.डी स्कालर, पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा म.प्र.

3 पशु जैव रासायनिकी विज्ञान विभाग, पशु चिकित्सा एवम पशुपालन महाविद्यालय, रीवा म.प्र.

4 पशु शारीरिकी विभाग राजीव गाँधी दक्षिणी परिसर, बनारस हिंदु विश्वविद्यालय, मिर्जापुर उ.प्र.

5 पशु औषधि विज्ञान विभाग, पशु चिकित्सा एवम पशुपालन महाविद्यालय, रीवा म.प्र.

6 सह प्राध्यापक, पशु चिकित्सा एवम पशुपालन महाविद्यालय, रीवा म.प्र.