स्वच्छ दुग्ध उत्पादन: क्यों और कैसे करें

Pashu Sandesh, 25 December 2022

अजय कुमार1, यशमिता शेखावत1, आरती निर्वाण2, जयेश व्यास1

1Department of Animal Genetics and Breeding, College of Veterinary and Animal Science, Bikaner, RAJUVAS

2Assistant Professor, Department of Biological Sciences, Government College, Bajju, Bikaner, MGSU

*Corresponding author: yadavajay02@gmail.com

भूमिका/परिचय :- गांवों के अधिकतर परिवारों में दुधारू पशु गाय, भेस पाले जाते हैं। हालांकि दुधारू पशु पालना एक बात है और स्वच्छ दुग्ध उत्पादन अलग। स्वच्छ दुग्ध उत्पादन से हम दूध को जल्दी खराब होने से बचा सकते हैं जिनका सीधा सम्बन्ध आर्थिक लाभ से है।पशुपालकों और किसानों को इसलिए स्वच्छ दुग्ध उत्पादन करना चाहिए । जिससे दूध की क़्वालिटी बनी रहे  

स्वच्छ दूध क्या है?

स्वच्छ दूध का अर्थ दूध में बाहरी पदार्थों जैसे धूल, मिट्टी, गोबर, बाल, मक्खी आदि के न होने से ही नहीं बल्कि बीमारी फैलाने वाले  जीवाणुओं ,विषाणुओं, फंगस आदि की भी अनुपस्थिति से भी होता है। स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए बहुत सी बातें, जैसे स्वच्छ वातावरण व स्वच्छ दुग्धशाला, साफ बर्तन, स्वच्छ एवं स्वस्थ पशु, स्वच्छ दूध दुहने का तरीका एवं स्वच्छ दूधिया होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त दूध दवाईयों के बचे हुए अंश, कीटाणुओं आदि की सुरक्षा के लिए प्रयुक्त रसायनों के अवशेष, हारमोन के अवशेष, आदि से भी मुक्त हो।

पशुपालकों के लिए स्वच्छ दुग्ध उत्पादन क्यों जरूरी हैं?

स्वच्छ दूध मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होता है, अर्थात इसके सेवन से बीमारियों का कोई खतरा नहीं रहता। दूध से फैलने वाली बीमारियों में टी.बी., टाइफाईड, पैरा टाइफाईड, अन्डूलेन्टिंग फीवर, पेचिश तथा गैस्ट्रोइन्टेराइटिस प्रमुख हैं। इनमें से कुछ के जीवाणु दुधारू पशु के थन से सीधे आ जाते हैं तथा कुछ दूध मल अथवा मूत्र के प्रदूषण द्वारा तथा कुछ दूध निकालने वाले व्यक्ति द्वारा दूध में आते हैं। दूध के द्वारा अनेक ज़ूनोटिक बीमारियां जैसे बुर्सेलोसिस हो जाती हैं।

दूध दुहाई करने के लिए बरतन कैसा हो?

दूध दुहने का बर्तन स्टेनलेस स्टील का होना अच्छा है। अन्यथा एल्यूमीनियम या गैलवेनाइज्ड शीट का हो। पीतल और तांबे का बर्तन बिल्कुल इस्तेमाल न करें। खुली बाल्टी के स्थान पर गुम्बदाकार छत वाली बाल्टी में दूध दुहना चाहिए, क्योंकि जीवाणु वातावरण, इसमें बाहरी गन्दगी तथा पशु के शरीर के बाल नहीं गिरते। दूध दूहने के लिए साफ बर्तन का उपयोग करना चाहिए। गन्दा बर्तन बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का मुख्य स्रोत होते हैं। दूध दुहने के पश्चात बर्तन को साबुन/सौड़ा व गर्म पानी से धोना चाहिए। अगर बर्तन राख से साफ करना हो तो बर्तन को दो-तीन बार पानी से अच्छी तरह खंगाल लेना चाहिए। बर्तन को धोकर सुखाना अतिआवश्यक है। साफ बर्तन को पलट कर रखना चाहिए। हो सके तो बर्तन को तेज धूप में कम से कम तीन घंटे अवश्य रखे ताकि वह कीटाणु रहित हो जाए। बर्तन धोने के लिए साफ पानी का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

पशुपालकों को दूध दुहने से पहले क्या करना चाहिए ?

दूध दुहने से पूर्व पशु का पिछला हिस्सा अच्छी तरह रगड़कर धो लें। दुहने से पूर्व थनों को कीटाणुनाशक (एक बाल्टी पानी में एक चुटकी पोटेशियम परमैगनेट) घोल में स्वच्छ कपड़ा डुबोकर पोंछ दे। दूध दुहते समय पशु की पूँछ पैर से बाँध दे जिससे पूँछ हिलाने से धूल, मिट्टी या गन्दगी दूध में नहीं गिरे। पशु के थनों का रोज निरीक्षण करें। यदि कोई दरार होतो उसको साफ करके एन्टिसेप्टिक क्रीम लगा दें। यदि थनों में सूजन हो या मवाद अथवा खून दूध के साथ आ रहा हो तो वह थनैला रोग का सूचक है। अतः तुरन्त पशु-चिकित्सक को दिखाएं।

पशुपालकों को स्वच्छ दूध दोहन कैसे करना चाहिए?

दूध दुहने से पहले दूध निकालने वाले  दूधिया को अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ कर सुखा लेना चाहिए। हाथ के नाखून समय समय पर काटते रहे। स्वच्छ और कसे कपड़े पहने तथा सिर को टोपी द्वारा ढक कर रखे ताकि कोई बाल आदि दूध में न गिरे। दूध को पूर्णहस्त (फूल हैंड )विधि द्वारा दुहना चाहिए। दूध की पहली एक-दो धार को स्ट्रिप प्याले में डालना चाहिए ताकि थनैला की बीमारी का पता चल सके। प्रारम्भ के दूध को स्ट्रिप-प्याले में निकालने से जीवाणु भी थन से निकल जाते हैं और बाद में दूध जीवाणू मुक्त हो जाता है। दूध दुहने वाला व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ होना चाहिए। यदि दूधिया किसी बीमारी जैसे-कालरा, टायफाईट या टी.बी. के रोग से ग्रसित हैं तो बीमारी के कीटाणु दूध द्वारा स्वस्थ व्यक्ति में भी फैल सकते हैं।

लंबे समय तक दूध को यूज़ करने के लिए दूध का  संरक्षण कैसे करें?

एल्युमीनियम या स्टेनलेस स्टील की ढक्कन वाली कैन दूध रखने एवं परिवहन के लिए अच्छी रहती है। दूध का बर्तन यदि ढक्कन युक्त नहीं है तो उस पर साफ कपड़ा बाँध दें ताकि दूध में धूल, मक्खी आदि न गिरे। दूध को सीधी धूप में नहीं रखें क्योंकि इससे दूध का स्वाद खराब होने का भय रहता है। दूध को ठंडा रखने के लिए बर्तन को ठंडे पानी में रखें। ताजा दूध को पहले से रखें दूध में नहीं मिलायें।