Pashu Sandesh, 10 jan 2023
डॉक्टर विवेक अग्रवाल
सहप्राध्यापक
पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय महू
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि वर्ष 2022 में 26 नवंबर जो कि संविधान दिवस या राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता है उसकी थीम इस बार भारत लोकतंत्र की जननी है क्यों रखी गई इस संदर्भ में मैं आपको बताना चाहूंगा कि हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने 15 अगस्त 2022 को अपने उद्बोधन में सर्वप्रथम यह कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है इसका कारण यह था कि स्वीडन की वैरायटी ऑफ डेमोक्रेसी यानी V-DAM नाम की संस्था ने जो लोकतांत्रिक कसौटी पर देशों का आकलन करती है उसने भारत की लोकतांत्रिक रेटिंग घटाई है इसमें सबसे बड़ी विसंगति यह है कि भारत के ऊपर तमाम ऐसे देशों को रखा गया है जो धर्मनिरपेक्षता जैसे लोकतांत्रिक मानकों पर अत्यंत कमजोर है इस रिपोर्ट में भारत को 90 स्थान पर रखा गया है जबकि डेनमार्क एस्टोनिया स्वीडन स्वीटजरलैंड और नॉर्वे जैसे देश सबसे बेहतरीन लोकतंत्र बताए गए हैं जोकि तर्कसंगत नहीं है
इसको समझने से पहले आज इस बात पर प्रकाश डालना अत्यंत आवश्यक हो गया है कि एक मजबूत लोकतंत्र के प्रमुख लक्षण क्या होते हैं
हम सभी को अपने संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी पर गर्व है कि उन्होंने उपरोक्त बातें हमारे संविधान में समाहित कराई हैं लेकिन जहां बात V-DAM के रिपोर्ट की आती है हम उससे कतई सहमत नहीं हैं क्योंकि इस रिपोर्ट के अनुसार डेनमार्क सबसे बेहतरीन लोकतंत्र है जबकि डेनमार्क राज्य की जिम्मेदारी है कि वह वहां के चर्च की वित्तीय एवं अन्य तरीके से मदद करें जबकि हमारे संविधान का अनुच्छेद 27 के अनुसार किसी भी धर्म को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी खजाने से व्यय नहीं किया जा सकता
V-DAM की सूची में स्वीडन को तीसरे स्थान पर रखा गया है जो कि सरासर गलत है क्योंकि स्वीडन में गणतंत्र ही नहीं है क्योंकि वहां तो राजा या रानी ही राष्ट्र प्रमुख होते हैं जबकि भारत में एक गरीब परिवार का, किसी भी जाति, धर्म, लिंग का बच्चा भारत जैसे महान लोकतंत्र का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बन सकता है साथ ही स्वीडन में राजा या रानी पर किसी भी स्थिति में मुकदमा नहीं चल सकता जबकि हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार हर व्यक्ति विधि के समक्ष समान है वहां राजकुमार या राजकुमारी स्वेच्छा से विवाह नहीं कर सकते बल्कि उन्हें सरकारी स्वीकृति लेनी पड़ती है इस प्रकार स्वीडन में धर्मनिरपेक्षता, गणतंत्र, विधि के समक्ष समता का अधिकार एवं अंतःकरण जैसे आदर्श लोकतंत्र के मूल सिद्धांत ही नहीं है इसलिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा इस बात का कहना कि दुनिया के सबसे बड़े एवं जीवंत लोकतंत्र के नागरिक पश्चिम के कुछ देशों को यह गुंजाइश क्यों देते हैं कि वे लोकतंत्र पर हमें भाषण दें जबकि उनके खुद के लोकतांत्रिक ढांचे में ही तमाम खामियां हैं भारत का सपना कि वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में होगा इसका मूल भारत के संविधान में प्रदत्त 11 मौलिक कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करने के उपरांत ही संभव होगा क्योंकि दुनिया भर के कई देशों ने जिम्मेदार नागरिकता के सिद्धांतों को मूर्त रूप देकर स्वयं को विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने का कार्य किया है इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण सिंगापुर है जिसके विकास की कहानी नागरिकों द्वारा कर्तव्य के पालन से शुरू हुई थी नतीजा सिंगापुर ने कम समय में ही स्वयं को एक अल्प विकसित राष्ट्र से विकसित राष्ट्र के रूप में बदल दिया है इसपरिपेक्ष्य से हमे भारत के संविधान में प्रदत्त 11 मौलिक कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करने की अत्यंत आवश्यकता है जो कि निम्नानुसार है
उपसंहार
भारत ना केवल एक सेक्यूलर और लोकतांत्रिक देश है बल्कि दुनिया का सबसे विविधतापूर्ण एवं जीवंत राष्स्ट्र
सेक्युलर जैसे आदर्श हमारे संविधान की प्रस्तावना में शामिल है अब हमें पुराने दौर वाली चुप्पी तोड़कर बल्कि आगे बढ़कर दुनिया को यह बताना होगा कि भारत तो लोकतंत्र की जननी है एवं दुनिया का सबसे जीवंत एवं विशाल लोकतंत्र है इसके लिए विदेश मंत्रालय को सबसे बड़ी ताकत के रूप में सामने आना होगा साथ ही ऐसे फर्जी लोकतंत्र जो कि भारत जैसे महान राष्ट्र को लोकतंत्र पर भाषण दें उनको उनका आईना भी दिखाना चाहिए तभी यह संभव है कि हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी का कथन भारत लोकतंत्र की जननी है उसको साकार रूप मिलेगा एवं संविधान में प्रदत्त 11 मौलिक कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन किया गया तो वह दिन दूर नहीं कि भारत विकसित देशों की श्रेणी में शुमार हो जाएगा