वर्ल्ड एनिमल डे के अवसर पर आइए, हम  पशु-पक्षियों के अकाल मृत्यु ,पीड़ा, दर्द और प्रताड़ना को  मिटाने का संकल्प लें !

Pashu Sandesh, वर्ड एनिमल डे 4 अक्टूबर 2021 के अवसर पर 

गिरीश जयंतीलाल शाह

सदस्य - भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड एवं

मैनेजिंग ट्रस्टी - समस्त महाजन

ईमेल : samastmahajan9@gmail.com  

आज की सभा के मुख्य अतिथि श्रीमान श्री पुरुषोत्तम रुपाला जी, माननीय केंद्रीय पशुपालन मंत्री महोदय , पशु कल्याण मे संलग्न सभी मित्रों, सज्जनों एवं देवियों !!!

आपके बीच में मैं उपस्थित होकर के अत्यंत प्रसन्न हूँ  और यह मेरा सौभाग्य है कि आज आपके बीच में उपस्थित होने का अवसर मिला है  । पशुओं के पूरा दर्द को समझने के लिए पिछले दो दशक से एक स्वयंसेवी  संस्था समस्त महाजन के माध्यम से विभिन्न कार्यों को करने का अवसर मिलता  रहा  है । इस विषय पर आज आपके बीच में अपने विचार साझा करना चाहते हैं। सबसे पहले मैं आज के इस पावन दिन - वर्ल्ड एनिमल डे के बारे में चर्चा करना चाहूंगा। फिर इसके बाद भारत सरकार के एक ऐसे विभाग जो पशु -पक्षियों की चिंता करते हैं , उसके बारें में चर्चा करूंगा । भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड विश्व की एक ऐसी संस्था है जो पशुओं के भलाई की बात करती  है और उनके दुख -सुख को साझा करने के लिए एक हाई प्रोफाइल विभिन्न विशेषज्ञों,वरिष्ठ अधिकारियों एवं विद्वानों का समूह है जो  केंद्र सरकार द्वारा गठित किया जाता है। जब भी जीव दया की बात चलती है तो देशभर के गौशालाओं पंजरापोले तथा गोसदनों की चर्चा करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। हम इस विषय पर आज आखिर में अत्यंत संक्षेप में बिंदुवार चर्चा करेंगे ।

एडब्ल्यूबीआई विश्व की पहली एनिमल वेल्फेर की  सरकारी संस्था

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड  विश्व का पहला बोर्ड है जो सरकारी है। अगर हम यह अवलोकन करें तो यह पाएंगे कि   समूचे विश्व में एनिमल वेलफेयर का कार्य संचालन  या तो कहीं किसी विभाग के द्वारा होता है  अथवा स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित हो रहा है । इसलिए,  हम देशवासियों के लिए  यह गर्व की बात है कि  भगवान  महावीर , राम,  कृष्ण और बुद्ध या  महात्मा गांधी आदि जैसे महान  अहिंसावादियों के देश में  करुणा, दया, अनुकंपा  और  प्रेम का  संदेश  आपसी भाईचारे के रूप में यदि   सारी दुनिया में जाना   जाता   है तो  पशु -पक्षियों के प्रेम के लिए  भी हमारा देश विख्यात है,  और यही कारण है कि यहां पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड जैसी   सरकारी संस्था है जो  पूरे देश में  जीव दया और एनिमल वेलफेयर का संदेश देता है । भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की स्थापना जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत वर्ष 1962 में हुआ था । बोर्ड की स्थापना में तत्कालीन सांसद एवं विश्व विख्यात व्यक्तित्व  स्वर्गीय रुक्मिणी देवी अरुंडेल ,अंतर्राष्ट्रीय नृत्यांगना,आध्यात्मिक व्यक्तित्व वाली भरतनाट्यम के जानी मानी कोरियोग्राफर,लेखिका एवं पशु प्रेमी शख्सियत ने सबसे पहले संसद में जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम का बिल पेश किया था जो बाद में सरकार की ओर से प्रस्तुत किया गया। श्रीमती रुकमणी अरुंडेल जी अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक भारतीय जीव जन्तु   कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष बनी रही  और उन्होंने बोर्ड के स्वरूप एवं कार्यों को अंतरराष्ट्रीय पटल पर रखने का हमेशा कार्य किया जो गौरवशाली ही नहीं बल्कि अविस्मरणीय भी है। आज इन्हीं यादों के साथ हम वर्ल्ड एनिमल डे का आयोजन करते हैं जहां सेंट फ्रांसिस असीसी की  यादगार में पशु कल्याण कार्यक्रमों को जन जन तक ले जाने का संकल्प लेते हैं। मैं भारत सरकार से गुजारिश करूंगा कि एनिमल वेलफेयर एक ऐसा ज्ञान-विज्ञान है  जो मूक पशुओं की भावनाओं को इंसान के साथ ऐसे जोड़ती है और वह  प्रकृति के अस्तित्व को बनाए रखने में हमें हर पल प्रेरणा देती है, इस दिशा में हमें और काम करना चाहिए। मनुष्य का जीवन बिना प्रकृति के सहयोग से नहीं चल सकता और इसी प्रकृति का  एक अंग पशु -पक्षी है जो हमारे जीवन के ऐसे साथी हैं जो प्रकृति के स्तित्व को बनाए रखने में अहम  भूमिका निभाते हैं। आज हम कोरोना महामारी के विनाशकारी रूप को देखकर यह सीख गए कि पशु -पक्षियों का विनाश इंसान के अस्तित्व को मिटाने में पूरा सक्षम है। इसलिए हमें सावधान हो जाना चाहिए।

विश्व कल्याण  दिवस का आयोजन क्यों ?

आज विश्व पशु दिवस यानी कि वर्ल्ड एनिमल डे है।  हर साल 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस मनाया जाता है।  इस वर्ष यानी 2021  में सोमवार  का दिन है.यह एक अन्तरराष्ट्रीय दिवस है.इस दिन पशुओं के अधिकारों और उनके कल्याण आदि से संबंधित विभिन्न कारणों की समीक्षा की जाती है।  जानवरों के महान संरक्षक असीसी के सेंट फ्रांसिस का जन्मदिवस भी 4 अक्टूबर को मनाया जाता हैं ।  ये जानवरों के महान संरक्षक थे. अन्तरराष्ट्रीय पशु दिवस के अवसर पर जनता को एक चर्चा में शामिल करना और जानवरों के प्रति क्रूरता, पशु अधिकारों के उल्लंघन आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर जागरूकता पैदा करना है । विश्व पशु कल्याण दिवस पर जानवरों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए विभिन्न प्रकार के समारोहों का आयोजन किया जाता हैं - जैसे विश्व पशु कल्याण अभियान, पशुओं के लिए बचाव आश्रयों का उद्घाटन,जानवरों के लिए आश्रय के निर्माणऔर फंड जुटाने से सम्बंधित कार्यक्रमों का आयोजन इत्यादि। 

मैं बताना चाहूंगा कि  पहली बार विश्व पशु दिवस का आयोजन स्त्री रोग विशेषज्ञ ,डॉक्टर हेनरिक जिमरमन ने 24 मार्च, 1925 को जर्मनी के बर्लिन में स्थित स्पोर्ट्स पैलेस में किया था।  किंतु वर्ष 1929 से यह दिवस 4 अक्टूबर को मनाया जाने लगा। शुरू में इस आंदोलन को जर्मनी में मनाया गया और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फ़ैल गया।  1931 में फ्लोरेंस, इटली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पशु संरक्षण सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस के रूप में 4 अक्टूबर को मनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और अनुमोदित किया ।  यूनाइटेड नेशंस ने “पशु कल्याण पर एक सार्वभौम घोषणा” के नियम एवं निर्देशों के अधीन अनेक अभियानों की शुरुआत की।  नैतिकता की दृष्टि से, संयुक्त राष्ट्र ने सर्वाजनिक रूप से की गई घोषणा में पशुओ के दर्द और पीड़ा के सन्दर्भ में उन्हें संवेदनशील प्राणी के रूप में पहचान देने की बात की।

इस दिवस का उद्देश्य है कि दुनिया भर में जानवरों की स्थिति में सुधार लाने और उसे बेहतर बनाने बनाएं । इस दिवस के जरिए  पशु कल्याण आंदोलन को एकजुट करना होता है। इसका उद्देश्य यह  भी है कि जानवरों के लिए पूरी दुनिया में  एक बेहतर वातावरण  बनाया जा सके। हर देश में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।  राष्ट्रीयता, धर्म, आस्था और राजनीतिक विचारधारा के बाद भी सभी देश उसे अपने तौर तरीके के साथ मनाते है। बढ़ती हुई जागरुकता और शिक्षा के जरिए ही हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं। जहां जानवरों की भावनाओं को समझा जाए और उनके कल्याण पर ध्यान दिया जाए।

मैं यह कहना चाहूंगा कि  वर्ल्ड एनिमल डे के पावन अवसर पर  भारत के पशु प्रेमी  बड़े ही  इज्जत और सम्मान के साथ में  इस दिवस का आयोजन करते हैं  और नए संकल्पों के साथ में आगे बढ़ते हैं ।  अगर देखा जाए तो इस तरह के  दिवस जो हमें चेतना देकर जाते हैं, समय-समय पर आते रहते हैं ।  उनका भव्य आयोजन भी होता है लेकिन सवाल यह है कि इन  आयोजनों से हम कितना सीख पाते हैं  और अपने रोजमर्रा की जिंदगी में  उसका प्रतिपालन कर हम  सरकार के साथ जोड़ते और  आगे बढ़ते हैं, जहां पर पर्यावरण, मनुष्य और  पशु- पक्षियों के साथ संबंधों  के   अटूट रिश्ते  बने हुए हैं ।  जब इन रिश्तो में  दरार होती है तो  प्रकृति भी हमारा साथ छोड़ने लगती है  पर, हम तमाम  समस्याओं से घिर जाते हैं और प्रकृति के कोप का  शिकार बन जाते हैं।  इसलिए हमारा  यह आप सभी से आग्रह है कि  हम सब एकजुट होकर इस  एनिमल वेलफेयर अभियान को  लेकर सरकार के साथ आगे बढ़े  और समूची दुनिया को  खुशहाल रखें।

गौ संरक्षण -संवर्धन  कार्य देश की सबसे बड़ी चुनौती

खुशी की बात है कि  आज वर्ल्ड एनिमल डे  है जहां हम  अपना आत्म विश्लेषण करेंगें   और यह देखेंगें  कि  हम एनिमल वेलफेयर के कार्य को  कितने मुस्तैदी के साथ में  लेकर आगे बढ़ रहे हैं।  इसमें दो राय नहीं कि सरकार के कितने भी बड़े कार्यक्रम चलाएं  जाएँ  और  महत्वपूर्ण योजनाएं बना ली जाएं , लेकिन  जब तक  लोग सरकार के साथ  कंधा से कंधा मिलाकर नहीं चलेंगे, तब तक सफलता प्राप्त नहीं हो  सकती।  जब हम  किसी आंदोलन की सफलता की बात का आकलन करते हैं तो वहां हम देखते हैं कि  हमेशा पार्टिसिपेटरी मूवमेंट  अर्थात  सहभागिता का अभियान  या आंदोलन हमेशा उसके  सफलता का मूल मंत्र होता है।  अगर हम देखें तो  हजारों साल पुरानी  गौशाला संस्थाएं( गौशाला, पंजरापोल एवं गौ सदन) हमेशा  सहभागिता अभियान का एक बेहतरीन नमूना रहा है ।  आज भी देश की बड़ी से बड़ी गौशाला लोगों के आपसी सहयोग से चलती है ।  लेकिन वक्त बदल गया है, अब  दान और दया पर आधारित  संस्थाएं  करवट ले रही हैं।  इन संस्थाओं को  नयापन चाहिए  और वैज्ञानिक  विधियों और तकनीक की आवश्यकता है।  पिछले दो दशकों के अंदर  गोबर गोमूत्र पर  अनेक अनुसंधान किए गए हैं।  आयुष मंत्रालय ने पंचगव्य दवाओं   तथा ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए  प्राकृतिक खेती से लेकर जन स्वास्थ्य  पर चिंता आरंभ कर दिया है।  आयुष मंत्रालय की बहुत अच्छी  वेबसाइट है जहां सारी जानकारी मिलेगी । अन्य कई मंत्रालयों ने  पशु कल्याण कार्यक्रमों को प्राथमिकता दिया है  जिसमें  गोबर- गोमूत्र से ऑर्गेनिक खेती, गोबर गोमूत्र से बनाई गई तरह – तरह  के  औषधियों तथा  उत्पादों  की  एक अच्छी बाजार खड़ी कर दी है।  दिवाली आ गया लोग गोबर से दिए और मूर्तियां बना रहे हैं।  कई गौशालाओं ने गोबर के लट्ठे(लकड़ी)  बनाकर  आमदनी प्राप्त  करना आरंभ कर दिया है  जो कहीं न कहीं सरकार के किसी तंत्र को  प्रबल बनाती है और  गाय, गांव  और ग्रामोंद्योग को  बढ़ावा दे रही है।  आज गाय गांव से श्रम या श्रमिक के पलायन रोकने का एक बहुत बड़ा माध्यम साबित हो रही है । देशी गाय से प्राप्त   A2 मिल्क  सिर्फ विश्व बाजार में  बल्कि मुनाफे का सौदा बन गई है बल्कि  भारतीय किसान भी अब  स्वयं  आगे आ रहे हैं।  कई शहरों में लोग आमदनी के लिए  देसी दूध और देसी घी बेच रहे हैं ।  इससे गौशालाओं को आत्म बल मिला है।  लेकिन इस समय सबसे बड़ी चुनौती यह है कि  सरकार की योजनाएं  और योजनाकार जब नए कार्यक्रमों को लेकर के आए  जो गौशालाओं  और पंजरापोलो  के लिए सटीक हो।  मैं यहां बड़े स्पष्टता के साथ इंगित करना चाहता हूं कि  नेशनल  ग्रीन ट्रिब्यूनल( एनजीटी)  के द्वारा तैयार किए गए  गौशालाओं के कुछ मानक  गौशाला तथा डेयरी दोनों को एक साथ जोड़ कर  तैयार की गई है जो  गौशालाओं के  विकास के लिए  उचित नहीं है, वह हतोत्साहित करता है    ऐसे बहुत सारे मुद्दे हैं जहां पर  सरकार को विचार करने की जरूरत है  जिसमें  राज्य स्तरीय जीव जंतु कल्याण बोर्डों का क्रियान्वयन, देशभर में एसपीसीए का संचालन, एनिमल वेलफेयर का  वार्षिक बजट में वृद्धि , भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड  तथा राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का  पुनर्गठन  इत्यादि ऐसे मामले हैं  जिस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।  इससे पशुओं पर होने वाले अत्याचार में  नियंत्रण मिलेगा ।  मैं सरकार से आग्रह करना चाहूंगा कि  देशभर में अवैधानिक बूचड़खानो  तथा अवैधानिक  पशु यातायात  को बंद किया जाए।  पशुओं पर होने वाले अत्याचार को कम करने के लिए  हमें नए कानून अर्थात एनिमल वेलफेयर  बिल पास करने   की आवश्यकता है जो  जितना जल्दी हो सके वह उतना ही अच्छा है ।

आज गोवंशीय  पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान के कुप्रभावों  की बात को सरकार को बड़ी गंभीरता से लेना चाहिए । कितने फक्र की बात है कि भारतीय नस्ल की गाय ब्राजील जैसे देश में भारत का नाम रोशन कर रही है। हमारे देश में संकर नस्ल की गायों का प्रचलन तेजी के साथ बढ़ रहा है जिसमें देसी नस्ल की गायों की मूल प्रजाति एवं उसकी आनुवंशिक गुणवत्ता धीरे-धीरे खत्म हो रही है अर्थात हमें ए 1  दूध पीने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। हमारे देश में अभी तक "वन हेल्थ कांसेप्ट"(वन हेल्थ का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की पहल के अनुसार मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, मिट्टी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न विषयों के ज्ञान कोएक प्लेटफार्म पर एक नजरिए से देखना) अभी कहीं दिखाई नहीं दे रही है, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

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