Pashu Sandesh, 09 Jan 2022
डा. गया प्रसाद जाटव, डा. ए.के.जयराव, डा. विवेक अग्रवाल, डा. सुप्रिया शुक्ला, डा. रवि सिकरोडिया, डा. मुकेश शाक्य, एवं डा. अशोक कुमार पाटिल
पशु विकृति विज्ञान विभाग, पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, (नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर), महू - 453446
पशुओं में होने वाला एक जीवाणु जनित रोग है जोकि एक पशु से दूसरे पशु एवं मनुष्य में भी आसानी से छुआ-छूत के जरिये फैल सकता है। यह रोग मुख्यतः गाय,बैल ,भैंस एवं छोटे पशु जैसे की भेड़ बकरी कुत्ते इत्यादि में आसानी से फैल सकता है। एवं एक बार रोग आ जाने के बाद पशु लंबे समय के लिये इससे ग्रसित हो जाता है। चुंकि यह रोग पशुओ से मनुष्यों में आसानी से फैल सकता है। अतः इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
रोग का कारणः- पैराटयूबरक्लोसिस रोग का प्रमुख कारण एक प्रकार का जीवाणु है जिसे हम माइकोबैक्टीरियम एवियम सबस्पीसीज पैराटयूबरक्लोसिस के नाम से जानते है।
रोग के लक्षणः- रोग के प्रमुख लक्षण निम्नानुसार हैः-
रोग ग्रसित पशु में कमजोरी
रोग ग्रस्त आतों में सूजन
रोग ग्रस्त आंतो की ग्रथियों में सूजन
रोग का फैलावः- पशुओं मे यह रोग एक पशु से दूसरे पशु में आसानी से संक्रमित गोबर खाद से, मादा पशुओं के थनों से दूध पीने वाले छोटे बच्चों में दूध से, चीके (कोलेस्ट्रम) इत्यादि से आसानी से यह रोग फैल सकता है।इस रोग में पशुओं की आंतो में छोटी-छोटी गठाने बन जाती है तथा आंतों मे सूजन अधिक होने से पशुओं को दी जाने वाली खुराक (खाना-पीना) पशुओं के शरीर में अवशोषित नही हो पाती है एवं दस्त के रूप में बाहर निकल जाती है। जिससे की पशु दिन व दिन कमजोर होता जाता है और अतंतः मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।