बकरियों के प्रजनन प्रबंधन में हॉर्मोन (अन्तःश्राव) का महत्व

Pashu Sandesh, 12 September 2022

नेहा चौधरी, अरुण कुमार, गरिमा सिंह, विकास सचान

मादा पशु रोग विज्ञान विभाग, पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय मथुरा

बकरी को गरीब आदमी की गाय कहा जाता है क्योंकि ग्रामीण भारत के गरीब किसानों और मजदूरों को आय और आजीविका प्रदान करने में बकरी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बकरीयों की आबादी और दुग्ध उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है। सूखे और अकाल जैसी स्थितियों में बकरी पालन जीवन जीने का एक रास्ता प्रदान करता है। प्राचीन काल से बकरी का दूध पारंपरिक रूप से अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता रहा है। स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले लक्षणों के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ गई है। दूध के अतिरिक्त बकरी का मांस देश में सबसे पसंदीदा और व्यापक रूप से खाया जाने वाला मांस है। इन बहुआयामी गुणों के कारण बकरियों में प्रजनन प्रबंध की महत्ता अत्यधिक बढ़ जाती है।

बकरियों में प्रजनन के मौसम के दौरान 21 दिनों का मदचक्र होता है। मद की औसत अवधि 36 घंटे की होती है, लेकिन उम्र, नस्ल, मौसम और नर पशु की उपस्थिति के आधार पर 24 से 48 घंटे तक हो सकती है। कुछ हारमोनो के प्रयोग से प्रजनन प्रबंध को और प्रभावी बनाकर अधिक पशु पैदा किए जा सकते है।

हॉर्मोन के द्वारा प्रजनन प्रबंधन के तरीके - प्रजनन प्रबंध के लिए निम्न होरमोंस का उपयोग किया जा सकता है:

प्रोजेस्टेरोन 

प्रोस्टाग्लैंडीन 

मेलाटोनिन प्रत्यारोपण

प्रोजेस्टेरोन -

इस हॉर्मोन का प्रयोग प्रजनन मौसम के साथ साथ पूरे वर्ष किया जा सकता है। 10 मिलीग्राम प्रोजेस्टेरोन (कॉर्न के तेल के साथ) के 14 सबक्यूटेनियस इंजेक्शन (त्वचा के नीचे) का प्रयोग प्रतिदिन किया जाता है। इस हॉर्मोन के इंजेक्शन को बंद करने के 36-48 घंटो के बाद बकरी गर्मी में आ जाती है अर्थात गर्भाधान किया जा सकता है। प्रोजेस्टेरोन के साथ पीएमएसजी नामक हॉर्मोन के प्रयोग करने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते है।

प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन का प्रयोग अन्तःयोनी मार्ग में स्पंज (पॉलीयुरेथेन स्पंज), पेसरी अथवा ब्प्क्त् के रूप में भी किया जा सकता है। इसे लगाने के बाद रक्त में प्रोजेस्टेरोन की सांद्रता तेजी से बढ़ती है। 16-18 दिनों के लिए इस्तेमाल के बाद इस यंत्र को अचानक हटा लिया जाता है जिससे रक्त में प्रोजेस्टेरोन की मात्रा तेजी से घट जाती है और हटाने के 48 घंटे बाद बकरी एस्ट्रस या मद में आ जाती है। 500-800 आईयू पीएमएसजी का प्रयोग प्रोजेस्टेरोन स्पंज को हटाने से 2 दिन पहले करने से मद समय से तथा अच्छे लक्षणों के साथ दिखाई देती है। मेलेन्जेस्ट्रोल एसीटेट एक कृतिम प्रोजेस्टाजन है जिसका उपयोग बकरी के चारे में किया जा सकता है। इसे कुल मिश्रित राशन में या पूरक आहार के रूप में 8-14 दिनों की अवधि के लिए हर 8-12 घंटे में खिलाया जा सकता है। खुराक बंदकरने के 24-68 घंटो के बाद बकरी गर्मी में आ जाती है। पी एम् एस जी  का इंजेक्शन खुराक बंद करने क 8 घंटे बाद दिया जा सकता है जिससे बेहतर परिणाम प्राप्त होते है।

प्रोस्टाग्लैंडीन और एनालॉग्स-

यह हॉर्मोन प्रजननमौसम में लगया जाता है। 125 माइक्रोग्राम क्लोप्रोस्टेनॉल या 7.5 मिलीग्राम ल्यूप्रोस्टियोल के इंजेक्शन दो बार 9-10 दिनों के अंतराल पर मांस में या खाल के नीचे लगया जाता है। दूसरे इंजेक्शन के 48 घंटे बाद बकरियां मद में आ जाती हैं अतः दूसरा इंजेक्शन लगाने के 48-55 घंटे बाद गर्भाधान करना चाहिए।

मेलाटोनिन प्रत्यारोपण -

इसका उपयोग तब किया जाता है जब बकरी प्रजनन मौसम में ना हो। इसका उपयोग अकेले या अन्य हॉर्मोन के साथ संयोजन में भी किया जा सकता है। झुंड में प्रत्येक बकरे के कान पर 3 मेलाटोनिन के इम्प्लांट (प्रत्येक 18  मिली ग्राम) लगाए जाते है। 7 दिनों के बाद बकरियों को 1 मेलाटोनिन का इम्प्लांट लगाया जाता है। बकरियों में मेलाटोनिन इम्प्लांट लगाने के 40 दिन बाद दोनों को मेटिंग के लिए साथ में रखा जाता है।

अन्य पशुओं की तुलना में बकरी पालन के लिए चारे की आवश्यकता कम होती है। कम लागत में पशु रखने के लिए शेड को बनाना भी अपेक्षाकृत आसान है और आर्थिक संकट के दौरान बकरियां आसानी से बेची भी जा सकती हैं। बकरीयों का पालन छोटे, मध्यम आय वाले पशुपालको से ले कर एकल किसान तक कर सकते है। क्योंकि कम निवेश में ज्यादा उत्पादन मिलता है इसलिए बकरी पालन हर मायने से फायदेमंद है। इन पशुओं का प्रजनन प्रबंध वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं विधियों के साथ करने से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जोकि किसानो की आय को दुगुनी करने में अत्यधिक कारगर साबित हो सकता है।