पशुओ में स्ट्रिंगहाल्ट की समस्या एवं उपचार

Pashu Sandesh, 27th June 2020

डॉ. ज्योत्सना शक्करपुडे, डॉ. दीपिका डी. सीज़र, डॉ. आदित्य मिश्रा, डॉ. आनंद जैन, डॉ. शशि प्रधान, डॉ. सुमन संत एवं डॉ. कविता रावत

पटेलार लक्सेशन / फिक्सेशन को आमतौर पर स्ट्रिंगहाल्ट के रूप में जाना जाता है। घरेलू पशुओं की लगभग हर प्रजाति में यह समस्या बताई गई है - गोजातीय, घोड़े, ऊँट, भेड़, बकरी, कुत्ता और बिल्ली में हो सकती है। भैंस और गाय में स्ट्रिंगहाल्ट काफी आम है लेकिन यह जानलेवा नहीं है। फिर भी, स्ट्रिंगहाल्ट पशु के उत्पादन प्रदर्शन को कम करता है और पशु के बाजार मूल्य को कम करता है। स्ट्रिंगहाल्ट के उपचार के दौरान दैनिक ड्रेसिंग, एंटीबायोटिक इंजेक्शन और पशुचिकित्सा के दौरे में काफी व्यय होता है। यह समस्या भारत के तुलना में अन्य देशो के पशुओ में कम पायी जाती है, और प्राय: डेयरी पशुओ में गर्भावस्था के आखिर में ज्यादा होती है ! कम उम्र के दुर्बल पशु इस समस्या से ज्यादा पीड़ित होते हैं ! पशुओ में यह समस्या बरसात और जाड़े की अपेक्षा ग्रीष्म ऋतू में ज्यादा पाई जाती है! इस समस्या का प्रमुख लक्षण पिछले पैर में लंगड़ापन है, और लंगड़ापन की अवधि और गंभीरता बढती जाती है जब तक की पशु का पैर कठोर नहीं हो जाता है और पशु अपना घुटना मोड़ नहीं पाता है ! स्ट्रिंगहाल्ट एक चाल असामान्यता है, जो हिंडलिंब के अतिरंजित ऊपर की ओर झुकाव की विशेषता है, जो पैदल चलने पर हर मोड़ पर होती है। यह समस्या प्राय: पशुओ के एक पैर में होती है, लेकिन दोनों पैरों में हो सकती है ! इस समस्या में पशु अपने पैर के पृष्ठीय तल को जमीन से घसीटते हुए एवं झटका लेते हुए चलता है, इसलिए इस स्थिति को रेगनी या झनका कहते है ! कुछ लोग पहले इस समस्या को मवेशियों और ऊँटो में "स्ट्रिंगहाल्ट" भी कहते थे !

स्ट्रिंगहाल्ट के प्रमुख कारण

पोषण की कमी

स्ट्रिंगहाल्ट ज्यादातर अंतर्निहित न्यूरोपैथी के कारण होते हैं

पशुओ की शोषण गतिविधि

बाहरी चोट या घाव 

नस्ल और अनुवांशिक गड़बड़ी

जलवायु संबंधि परिवर्तन

जांध की हड्डी की घिरनी या चर्खी में रूपात्मक बदलाव

स्ट्रिंगहाल्ट की पहचान 

इस समस्या का मुख्य लक्षण पशु के में पिछले पैर में लंगड़ाहट

पैर के पृष्ठ तल को जमीन से घसीटते हुए चलता है और कभी कभी खुर लगातार जमीन से रगड़ने के कारण पशु का खुर जख्मी हो जाता है और खुर से रक्तश्राव होने लगता है ! 

चलते समय पिछले पैर से झटके लेना

पशु अपने घुटने को मोड़ नहीं पाता है

जांध की हड्डी की घिरनी या चर्खी (पटेला) का स्थिर हो जाना

मध्य पटेला का तंतु बंधन कठोर हो जाता है

पहचान क्लिनिकल ​​संकेतों पर आधारित है, लेकिन इलेक्ट्रोमोग्राफी द्वारा इसकी पुष्टि की जा सकती है

एक्स- रे, सोनोग्राफी द्वारा

इसके अलावा पशु चिकित्सक, पशु के घुटने की संधि में निश्चेतक डाल के भी समस्या की पहचान कर लेता है

स्ट्रिंगहाल्ट का उपचार

इस समस्या का कोई औषधीय उपचार नहीं है, शल्य चिकित्सा ही इसका एकमात्र उपचार है !  इसकी शल्य चिकित्सा को मीडियल पटेलार डेस्मोटॉमी (एम् पी डी) कहते है! इसके शल्य चिकित्सा में तंतु बंधन को काट दिया जाता है जिससे पशु की घुटने की चर्खी (पटेला) अपना कार्य स्वतंत्र रूप से करने लगता है और पशु में लंगडाहट तुरंत ठीक हो जाती है ! यह शल्य चिकित्सा पशु के खड़े होने की स्थिति एवं लेटाकर दोनों तरह से किया जा सकता है सामान्यतः इस शल्य चिकित्सा से पशुओ में कोई परेशानी नहीं होती है परन्तु कभी कभी घुटने के जोड़ में अस्थिरता और गठिया जैसी समस्या हो सकती है ! यदपि यह समस्या प्राय: एक ही पिछले पैर में होती है फिर भी कुछ पशु चिकित्सको का मानना है की तंतु बंधन (लिगामेंट) काटने की शल्य क्रिया दुसरे वाले पैर में भी करना चाहिए जिससे की भविष्य में यह समस्या दुसरे पैर में ना हो ! कुछ पशुचिकित्सक मीडियल पटेलार लिगामेंट में और इसके चारो तरफ "काउंटरइरिटेंट" का इंजेक्शन लगा देते है, जिससे तंतुबंधन का आकार और विस्तार ठीक हो जाता है और पशुओ में लंगड़ापन की समस्या ठीक हो जाती है ! 

परक्यूटेनस स्प्लिटिंग एक आधुनिक शल्य चिकित्सा की विधि है, जिसमे अल्ट्रासाउंड की सहायता से एक वीपी ब्लेड द्वारा तंतु बंधन को काटा जाता है इसलिए इस विधि को टेंडन स्प्लिटिंग भी कहा जाता है ! अध्ययन से पता चला है की इस विधि द्वारा रेगनी को ठीक करने में ज्यादा अच्छे परिणाम सामने आये है किन्तु यह विधि अपेक्षाकृत महँगी है और शल्य क्रिया में समय भी ज्यादा लगता है ! अतः पशु पलकों को चाहिए की यदि उनके पशु में उपरोक्त कोई लक्षण दिखाई दे रहा है तो वे अपने पशु को निकट के पशु चिकित्सालय या पशु चिकित्सक के दिखाये|

स्ट्रिंगहाल्ट का उन्मूलन दीर्घकालिक प्रक्रिया है! प्रजनन के लिए उपयोग होने वाले जानवरों, विशेष रूप से बैल में, चलने के दौरान स्ट्रिंगहाल्ट की सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए। इस कारण से बैल का सावधानीपूर्वक चयन महत्वपूर्ण है।

 

डॉ. ज्योत्सना शक्करपुडे, डॉ. दीपिका डी. सीज़र, डॉ. आदित्य मिश्रा, डॉ. आनंद जैन, डॉ. शशि प्रधान, डॉ. सुमन संत एवं डॉ. कविता रावत 

पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर