जल समस्या से निपटना इतना आसान नहीं-सभी को एक साथ जुट कर समाधान ढूंढने होंगे

पशु संदेश, 08 July 2019

लेखक : गिरीश जयंतीलाल शाह

पिछले दिनों सूखे की समस्या पर नज़र रखने वाली व्यवस्था ‘ड्रॉट अर्ली वॉर्निंग सिस्टम’ के हवाले से ख़बर आई कि भारत का 42 प्रतिशत हिस्सा ‘असामान्य सूखे’ की चपेट में है। यह आंकड़ा पिछले साल के मुक़ाबले क़रीब छह प्रतिशत ज़्यादा है। वहीं, छह प्रतिशत से थोड़ा कम हिस्सा ‘विशेष रूप से’ सूखाग्रस्त है।एक तरफ़ जल-स्रोतों का ह्रास हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ देश में गर्मी हर साल बढ़ती जा रही है।वर्ष 2030 तक भारत डेढ़ अरब से ज़्यादा की जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। आज लोग जल उपलब्धता की समस्या से जूझ रहे हैं। भूगर्भ का जल लगातार सिमटता जा रहा है। एक अनुमान के आधार पर ऐसे में 2030 में सभी को बराबर पानी मिल पाएगा,कुछ कहा नहीं जा सकता।

यही कारण है कि पूरा देश जल समस्या के विकट रूप का सामना कर रहा है।हर गली मुहल्ले अर्थात जगह-जगह पानी के लिए लाइन लगी हुई है। लेकिन ये तो उस समस्या का शुरुआती रूप है, जिसका सामना 10 साल बाद करना पड़ सकता है। नीति आयोग की रिपोर्ट में जल समस्या को लेकर डरावने आंकड़े पेश किए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक भारत की 40 फीसदी आबादी को पानी नहीं मिलेगा।नीति आयोग की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक़ 2020 तक देश में दस करोड़ लोग पानी की कमी की समस्या का सामना कर रहे होंगे। इनमें दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में रह रहे लोग काफ़ी बड़ी संख्या में शामिल रहेंगे। चेन्नई के हालात तो अभी से भयावह हैं। वहीं, 2030 तक देश के 40 प्रतिशत नागरिक पीने के पानी की समस्या से बुरी तरह प्रभावित हैं। साल 2015 में जल संसाधन पर बने एक स्टैंडिंग कमिटी ने पाया कि देश में ग्राउंड वाटर का सबसे अधिक इस्तेमाल कृषि और पीने के लिए होता है। भूमिगत जल के इसी दोहण का परिणाम है कि साल 2007 से 2017 के बीच देश में भूमिगत जल के लेयर में 61 फीसदी की कमी आई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2014 से लोगों से मन की बात करने की शुरुआत की थी। फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस कार्यक्रम को रोक दिया गया था। 4 महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लोगों से मन की बात कहीं तो उसमें सबसे पहले जल संकट कि चर्चा छेड़ी और कहा किभारत की नई समूची दुनिया की एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि अगर लोग जल संरक्षण के प्रति जागरूक नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाएगी। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को एक आंदोलन के रूप समूचे देश में बड़े जोर शोर से चलाने की बात भी कही।उन्होंने यह भी कहा कि जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है और इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे।एक भूगर्भ वैज्ञानिक के अनुसार भारत के लोग सबसे अधिक ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका और चीन को मिलाकर जितना पानी जमीन से निकाला जाता है उतना अकेले भारत से निकाला जाता है। यहां पीने के पानी का आधा से अधिक भाग ग्राउंड वाटर से आता है। देश में जितना पानी जमीन के अंदर से निकाला जा रहा है उसका 89 फीसदी इस्तेमाल कृषि कार्य में सिंचाई के लिए होता है। घर के अन्य कार्यों के लिए 9 फीसदी इस पानी का इस्तेमाल होता है जबकि 2 फीसदी पानी का इस्तेमाल उद्योग-धंधों में होता है।

देश भर में जहां पीने के पानी में बढ़ता प्रदूषण एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है, वहीं जिन जल स्रोतों में पीने योग्य पानी है, वे भी घटते जा रहे हैं। एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ केंद्रीय जल आयोग ने कहा है कि देश में 91 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर पिछले 10 साल के औसत से कम हो गया है। देश के बड़े शहरों में पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। लोगों के पास पीने का पानी नहीं है। समस्या के सामने आने के बाद सरकारें अस्थाई उपाए कर रही हैं। लेकिन देश में जिस स्तर का जल संकट होने वाला है इसके लिए बड़े स्तर पर प्लानिंग की जरूरत है। तभी भयानक जल संकट से बचा जा सकता है, नहीं तो पीने के पानी लिए लोग दरबदर हो जाएंगे।

भारत सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप के जरिए पानी पहुंचाने को महत्वकांक्षी परियोजना चलाने जा रहा है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार पाइपलाइन के जरिए पानी की सप्लाई और जल संरक्षण पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी। जल संसाधन मंत्रालय को जल शक्ति में तब्दील करके आने वाले समय में जल प्रबंधन सरकार की प्राथमिकता में शामिल होगी। नीति आयोग अपनी पांचवी बैठक में कहा था कि जल से जुड़े मुद्दों को हल करना है। जिसे जल शक्ति मंत्रालय करेगा। सरकार का लक्ष्य 2024 तक हर ग्रामीण घरों तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाना है।

गिरीश जयंतीलाल शाह
सदस्य-भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड,भारत सरकार एवं
मैनेजिंग ट्रस्टी समस्त महाजन

 

  •