पशु पोषण में उपचारित भूसे का महत्व

पशु संदेश , 16 सितम्बर 2018

डॉ सोनम भारद्वाजडॉ बृजेश नंदा

यह सर्वविदित है कि गेहूं के भूसेधान की पोल, ज्वार कड़बी और बाजरा आदि में प्रोटीन व खनिज तत्वो की मात्रा ‌बहुत कम और लिग्निन की मात्रा अधिक होती हैं। इस कारण जब इनको पशुओं को खिलाया जाता है तो ये पशुओं के जिंदा रहने की मांग को पूरा नहीं कर सकते। इस अवस्था में या तो इनके साथ हरा चारा मिलाकर या कुछ दाना मिलाकर खिलाया जाता है। एक साल में दो मौके ऐसे आते हैं जब किसान के पास हरा चारा भी पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं होता है। ऐसे में किसान कैसे इस कमी को पूरा करें? कई प्रयोगों से यह सिद्ध हो गया कि अगर इस भूसे को यूरिया से उपचारित करके और एक महीने तक भण्डारण करके पशुओं को खिलाया जाये तो छोटे पशुओं के विकास में बढ़ोतरी और दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता बढ़ती हैं।

भूसे को यूरिया से उपचारित करने की विधि

  1. 100 किलो सूखा भूसा लेकर जमीन पर फैला लें।
  2. 4  किलो यूरिया तोलकर 70 लीटर पानी में घोल लें।
  3. अब फैलाये हुए भूसे पर यूरिया मिश्रित पानी का छिड़काव करते रहे और उसको जैसे सानी बनाते हैं वैसे मिलाते रहे।
  4. खूब अच्छी तरह मिला कर इस भूसे के 10-15 किव्ंटल का ढेर बनाकर उसको अच्छी तरह पैरों से दबा दें।
  5. अब इसको पालिथीन शीट से या फटी हुई बोरियों से ढक दें।
  6. 20-25 दिन‌ बाद ये भूसा पशुओं को खिलाने के लिए तैयार हैं।

सावधानियां-

  1. भूसे और यूरिया मिश्रित पानी के घोल को अच्छी तरह मिलाएं।
  2. पशुओं को खिलाते समय पहले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिलाये। जैसे पहले दिन 2 -3 किलो ,10-12 दिन तक थोड़ा-थोड़ा बढ़ाते रहे और उसके बाद जितना पशु खाये उतना खिलाये।
  3. पशु को लगभग 3-4 किलो हरा चारा अवश्य ‌दें।

 

         डॉ  सोनम भारद्वाज 1डॉ बृजेश नंदा 2

1 एवं 2.  सहायक प्राध्यापक, अपोलो कॉलेज ऑफ  वेटरनरी मेडिसिन , जयपुर